खेती में गेमचेंजर साबित होंगे ये 6 यंत्र, किसानों की लागत घटेगी और उपज बढ़ेगी

खेती में छह आधुनिक यंत्रों के इस्तेमाल से समय, लागत और मेहनत कम होगी. इससे खेत जल्दी तैयार होंगे और फसल उत्पादन में बढ़ोतरी भी होगी.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 9 Jun, 2025 | 04:07 PM

खेती में मेहनत तो हमेशा से होती रही है. लेकिन अब समय के साथ तरीका बदल रहा है. आज के किसान परंपरागत तरीकों से आगे बढ़कर मशीनों और यंत्रों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे न सिर्फ खेत जल्दी और बेहतर तैयार होता है, बल्कि समय और पैसे की भी बचत होती है. कुछ ऐसे आधुनिक यंत्र हैं जो खेती में मददगार साबित हो रहे हैं. इनसे खेत की जुताई से लेकर मिट्टी को भुरभुरी बनाने, मेड़ बनाने और ढेले तोड़ने तक का काम आसानी से होता है. ये 6 यंत्र खेती में लागत घटाने और फसल बढ़ाने के लिए गेमचेंजर साबित हो सकते हैं.

1. मिट्टी पलटने वाला हल (MB Plough)

खेत की पहली जुताई के लिए सबसे अहम होता है मिट्टी पलटने वाला हल. यह यंत्र मिट्टी को पलटकर नीचे की जमीन को ऊपर लाता है, जिससे पुराने खरपतवार और कीट खत्म होते हैं. इससे मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है.

2. कल्टीवेटर (Cultivator)

हल से जुताई के बाद खेत की मिट्टी को भुरभुरी करने के लिए कल्टीवेटर जरूरी होता है. यह मिट्टी के बड़े-बड़े ढेलों को तोड़ता है और बीज बोने के लिए जमीन को तैयार करता है.

3. तवेदार हैरो (Disc Harrow)

अगर खेत में ढेले ज्यादा हों या मिट्टी भारी हो तो तवेदार हैरो बेहद फायदेमंद है. यह न सिर्फ मिट्टी को तोड़ता है, बल्कि जड़ें, झाड़ियां और खरपतवार भी साफ करता है.

4. रोटावेटर (Rotavator)

यह ट्रैक्टर से चलने वाला यंत्र खेत की एक से दो बार जुताई में ही खेत को पूरी तरह तैयार कर देता है. इससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि डीजल और मेहनत का खर्च भी घटाने में मदद करता है.

5. पंतनगर ढ़ेला तोड़ने की मशीन

खासकर भारी मिट्टी वाले खेतों में यह मशीन बहुत काम आती है. यह बड़े-बड़े ढेलों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल देती है, जिससे मिट्टी में नमी और हवा का संतुलन बना रहता है.

6. ट्रैक्टर चालित मेड़ बनाने की मशीन

फसल को पानी से बचाने और सिंचाई के लिए मेड़ बनाना जरूरी है. यह मशीन खेत में तेजी से नाली और मेड़ बनाती है जिससे खेत का पानी नियंत्रण में रहता है और फसल को नुकसान नहीं होता.

इन यंत्रों के इस्तेमाल से किसान न सिर्फ खेत जल्दी तैयार कर सकते हैं, बल्कि बीज, खाद, पानी और समय की भी बचत करते हैं. लागत घटने से आमदनी बढ़ेगी और मेहनत कम लगेगी. आधुनिक खेती की ओर ये एक बड़ा कदम है, जो खेती को आत्मनिर्भर और मुनाफे का सौदा बनाएगा.

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Published: 9 Jun, 2025 | 04:07 PM

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