MGNREGA: उत्तर प्रदेश के गांवों में अब रोजगार और सशक्तिकरण की तस्वीर तेजी से बदल रही है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा अब सिर्फ मजदूरी तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह महिलाओं के लिए आत्मनिर्भर बनने का मजबूत जरिया बनती जा रही है. वित्तीय वर्ष 2025–26 में प्रदेश ने इस दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. अब तक 23 लाख से अधिक महिलाओं को मनरेगा के तहत रोजगार मिल चुका है, जिससे उनके परिवारों को आर्थिक सहारा मिला है और महिलाओं का आत्मविश्वास भी बढ़ा है.
गांव-गांव तक पहुंची रोजगार की गारंटी
उत्तर प्रदेश सरकार की ‘विकसित भारत – रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण)’ के जरिए मनरेगा को और प्रभावी बनाया गया है. इस पहल का असर सीधे तौर पर गांवों में दिख रहा है, जहां महिलाओं को उनके ही क्षेत्र में काम के मौके मिल रहे हैं. खेत, तालाब, सड़क और जल संरक्षण जैसे कार्यों में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ी है. इससे न सिर्फ उनकी आय बढ़ी है, बल्कि घर और समाज में उनकी भूमिका भी मजबूत हुई है.
महिला मेट्स को मिली नई पहचान
मनरेगा के तहत महिलाओं को सिर्फ श्रमिक ही नहीं, बल्कि नेतृत्व की भूमिका भी दी जा रही है. इस वित्तीय वर्ष में करीब 32 हजार महिला मेट्स को जिम्मेदारी सौंपी गई है. ये महिलाएं कार्यस्थल पर काम की निगरानी, हाजिरी और प्रबंधन का दायित्व संभाल रही हैं. महिला मेट्स को अब तक 111 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि सीधे उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से दी गई है. समय पर भुगतान से महिलाओं का भरोसा व्यवस्था पर और मजबूत हुआ है.
स्वयं सहायता समूह बने बदलाव की ताकत
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को मनरेगा में प्राथमिकता दी जा रही है. इससे गांवों में महिला नेतृत्व को नया आधार मिला है. स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं अब सिर्फ बचत और ऋण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि रोजगार सृजन और विकास कार्यों में भी अहम भूमिका निभा रही हैं. इससे महिलाओं की निर्णय लेने की क्षमता और सामाजिक भागीदारी दोनों बढ़ी हैं.
समय पर भुगतान से बढ़ा भरोसा
मनरेगा की सबसे बड़ी ताकत इसका पारदर्शी भुगतान तंत्र बनता जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2025–26 में 97 प्रतिशत से अधिक श्रमिकों को समय पर मजदूरी का भुगतान किया गया है. इससे ग्रामीण मजदूरों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल रहा है और योजना पर लोगों का विश्वास भी गहराया है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिला सहारा
प्रदेश में मनरेगा के तहत अब तक 6700 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं. इससे गांवों में विकास कार्यों को गति मिली है और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़े हैं. पलायन पर भी इसका असर दिखने लगा है, क्योंकि अब लोगों को गांव में ही काम मिल रहा है. अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवारों को प्राथमिकता देकर समावेशी विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है.
आत्मनिर्भर यूपी की ओर मजबूत कदम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में मनरेगा उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की मजबूत नींव बन रही है. लाखों महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं और गांवों की अर्थव्यवस्था को नई ताकत मिल रही है. साफ है कि मनरेगा अब उत्तर प्रदेश के लिए सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण बदलाव और महिला सशक्तिकरण की नई पहचान बन चुकी है.