चित्तूर में आम के पेड़ों पर आए फूल, फिर भी बंपर फसल की उम्मीद नहीं!
चित्तूर जिला, भारत के उन क्षेत्रों में से एक है, जहां पर आम का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. इस सीजन में यहां पर 1.7 लाख एकड़ में आम की खेती की गई है. इस बार आम के पेड़ में देर से फूल खिले थे.

आंध्र प्रदेश के चित्तूर में आम के किसान इस साल बंपर फसल की उम्मीदें कर रहे थे लेकिन अब उनकी ये उम्मीदें कमजोर हो गई हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि जो फूल देर से खिले थे, अब वो गिरने लगे हैं. चित्तूर जिला, भारत के उन क्षेत्रों में से एक है, जहां पर आम का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. इस सीजन में यहां पर 1.7 लाख एकड़ में आम की खेती की गई है. इस बार जब फरवरी के मध्य में आम के पेड़ में फूल खिलने लगे तो किसान खुश हो गए थे. फूल भले ही देर से खिले थे लेकिन उन्हें बंपर फसल की उम्मीदें थीं.
फूलों से जगी थीं उम्मीदें
आम के पेड़ों पर आम तौर पर दिसंबर के आखिरी हफ्ते से बौर आना शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस साल फरवरी के मध्य तक बौर आने में देरी हुई और मार्च के पहले हफ्ते से ही मुरझाने लगे. अखबार द हिंदू ने बागवानी विभाग के एक अधिकारी के हवाले से लिखा है, ‘इस सीजन में 100 फीसदी से ज्यादा फूल खिले थे और यह एक असाधारण घटना है. हालांकि मार्च के पहले हफ्ते से ही फूल मुरझाने लगे और फल लगने की प्रक्रिया, यानी फूल से फल बनने की प्रक्रिया काफी धीमी हो गई.’
पिछले दिनों उप निदेशक (बागवानी) डी. मधुसूदन रेड्डी ने अधिकारियों की एक टीम के साथ बागों का कई बार निरीक्षण किया. मधुसूदन रेड्डी ने अखबार को बताया कि भारी फूलों की वजह से किसानों को बंपर फसल की उम्मीद जगी. उनका कहना था कि असल आम की फसल एक पैटर्न पर चलती है.
कैसा रहा 2 साल का हाल
पिछले साल यानी 2024 में फूल करीब जीरो थे और साल 2023 में यह पूरी तरह खिल चुके थे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि साल 2025 में फसल के ज्यादा होने की उम्मीद है. एक अधिकारी ने बताया कि इस साल भारी मात्रा में फूल खिलने के बावजूद हेर्मैप्रोडाइट फूल (नर और मादा दोनों प्रजनन अंगों वाले और फल लगने के लिए सही फूल) कम थे. उनका कहना था कि हर 100 में से सिर्फ दो फूलों में ही फल लगने की संभावना है. इस समय 98 फीसदी नर फूल और सिर्फ 2 फीसदी ही हेर्मैप्रोडाइट फूल हैं. गुंटूर और विजयवाड़ा क्षेत्रों में भी ऐसी ही स्थिति है.
किसानों को दी गई सलाह
बागवानी अधिकारी ने किसानों से हिम्मत न हारने और अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए तैयार रहने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें तुरंत लेकिन चरणों में, मई तक पेड़ों को पानी देना शुरू कर देना चाहिए ताकि अप्रैल और मई में आंधी और गर्मियों की बारिश के दौरान होने वाले प्रभाव को कम किया जा सके. पेड़ों को पानी देने से फल आंधी और उच्च तापमान का सामना कर सकते हैं. वहीं अधिकारियों ने किसानों को बताया कि इस साल बागों से उपज चार टन प्रति एकड़ (जो चित्तूर का बेंचमार्क है) से कम नहीं होगी. हालांकि 2023 में यह सात टन तक बढ़ गई है. उन्होंने फूलों के इस तरह मुरझाने का कारण खेतों में जैविक पदार्थों के कम इस्तेमाल को बताया.