अंबानी की नौकरी छोड़ खेती करने उतरा युवा, रच दी सफलता की कहानी
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के भैरूखेड़ा गांव के कन्हैयालाल धाकड़ ने नौकरी छोड़ 5 बीघा जमीन पर आम, मिर्च, लहसुन और सब्जियों की इंटरक्रॉपिंग शुरू की. अब सालाना 4 लाख रुपये कमा रहे हैं.

कन्हैयालाल धाकड़… नाम याद रखिए.ये वही नौजवान है जिसने पढ़ाई की, डिप्लोमा किया, मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी की. लेकिन मशीनों की आवाजों के बीच उसे महसूस हुआ कि असली सुकून मिट्टी में है और उसी सुकून की तलाश में वो लौट आया राजस्थान के अपने छोटे से गांव भैरूखेड़ा. आज वही गांव उसकी पहचान है. जहां पांच बीघा जमीन में वो आम, मिर्च, लहसुन और सब्जियों की ऐसी खेती कर रहा है, जिसे देखने दूसरे किसान आते हैं. उसकी खेती अब मॉडल बन चुकी है.
कन्हैयालाल के पास जमीन ज्यादा नहीं थी, लेकिन इरादे बड़े थे. उसने तय किया कि जितनी भी जमीन है, उसका पूरा-पूरा इस्तेमाल करना है. खेती शुरू करने से पहले एक साल की ट्रेनिंग ली और उसके बाद खेत को ऐसे डिजाइन किया. आज उसकी 5 बीघा जमीन में आम, लहसुन, मिर्च, और सब्जियों की इंटरक्रॉपिंग होती है. हर हिस्से से कमाई होती है. जो लोग कहते थे कि छोटी जोत में कुछ नहीं हो सकता, कन्हैयालाल ने उन्हें गलत साबित कर दिया. उन्होंने 5 बीघा को 20 बीघा जितना बना दिखाया.
साल था 2017. कन्हैयालाल ने आंध्रप्रदेश से मंगवाए मल्लिका किस्म के आम के 300 पौधे. खास बात ये थी कि हर पौधे का बीमा भी करवाया. कंपनी ने भरोसा दिया था कि खराब पौधे बदले जाएंगे और ऐसा हुआ भी. सात साल की मेहनत के बाद आम का बगीचा तैयार हुआ. अब न बाजार जाने की जरूरत है, न मंडी के चक्कर. ग्राहक खुद खेत पर आते हैं और 90 से 95 रुपये किलो आम खरीदते हैं. सालाना 1.6 से 1.7 लाख रुपये की कमाई सिर्फ आम से हो जाती है.
कन्हैयालाल ने खेती में सिर्फ मेहनत नहीं, दिमाग भी लगाया. उन्होंने लहसुन और मिर्च की इंटरक्रॉपिंग शुरू की. लहसुन से 70 से 75 हजार रुपये की साफ कमाई होती है. वहीं मिर्च की खेती पर 15 हजार रुपये का खर्च आता है और महीने में 30 हजार तक की बिक्री हो जाती है. यह मिर्च चार बार तोड़ी जाती है, यानी बार-बार कमाई. यही नहीं, खेत का हर कोना उपयोगी है. इसके अलावा आधा बीघा तरककड़ी में लगा दिया, जिससे 30 हजार रुपये अलग से कमा लिए.
कन्हैयालाल ने बीए किया, इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा किया है . उन्होंने बताया कि एक साल तक मुकेश अंबानी की रिलायंस कंपनी में काम किया है. इसके अलावा उन्होंने पायरोटेक जैसी अन्य कंपनियों में भी नौकरी की है. लेकिन वो काम उसे सुकून नहीं देता था. मन बार-बार कहता था कि कुछ छूट रहा है. उसी अधूरेपन को पूरा करने के लिए उसने नौकरी छोड़ दी और गांव आकर खेती शुरू की. जिसने जिंदगी बदल दी. आज वह न सिर्फ खुद सफल किसान है, बल्कि दूसरे युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुका है.
कन्हैयालाल की खेती अब गांव में एक रोल मॉडल बन चुकी है. नई तकनीकों और मार्केटिंग का सही इस्तेमाल किया. इसका परिणाम यह हुआ कि अब हर साल करीब 4 लाख रुपये की कमाई हो रही है. उन्होंने अपनी सफलता से प्रेरित होकर कुछ और किसानों को भी आम के पौधे लगाने के लिए प्रेरित किया है. उनकी कहानी साबित करती है कि सही दिशा में मेहनत से छोटी जोत भी बड़े फायदे दे सकती है.