किसानों को मिलेगी धान की नई किस्म आदमचीनी, बीएचयू ने विकसित की.. हैरान करने वाली हैं खूबियां
Paddy New Variety : बीएचयू के आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के कृषि वैज्ञानिकों ने सुगंधित धान की लोकप्रिय स्थानीय किस्म की उन्नत किस्म 'मालवीय आदमचीनी' विकसित की है. धान की यह किस्म कई खूबियों से लैस होने के चलते किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है.
Paddy Farming: धान किसानों को अब एक नई उन्नत धान की किस्म आदमचीनी मिलने जा रही है. इसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित किया है. यह किस्म सुगंधित होने के साथ ही उत्पादन भी ज्यादा है. इसके साथ कम सिंचाई के साथ ही कम समय में पककर तैयार हो जाती है. इसकी जबरदस्त खूबियों के चलते किस्म को जीआई टैग भी दिया गया है. उत्तर प्रदेश के साथ ही देश के कम सिंचाई वाले इलाकों में इसकी पैदावार की जा सकती है.
उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के अनुसार बीएचयू के आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के कृषि वैज्ञानिकों ने सुगंधित धान की लोकप्रिय स्थानीय किस्म आदमचीनी की उन्नत किस्म ‘मालवीय आदमचीनी’ विकसित की है. इसकी आदमचीनी धान किस्म चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर और सोनभद्र समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर विशेष रूप से उपजाई जाती है. धान की किस्म कई खूबियों से लैस होने के चलते किसानों को लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है.
2011 से चल रहा था बेहतर धान किस्म बनाने पर शोध
साल 2011 में मिर्जापुर के किसानों कृषि विज्ञान संस्थान को आदमचीनी धान की समस्याओं का स्थाई निदान खोजने के लिए कहा था जिसके बाद वैज्ञानिकों ने इस पर शोध शुरू किया था. आदमचीनी चावल को फरवरी 2023 को इसकी खूबियों के चलते जीआइ प्रमाणन भी प्राप्त हो चुका है. काला नमक धान के बाद प्रदेश में यह सम्मान पाने वाली धान की यह दूसरी किस्म है.
पारंपरिक आदमचीनी धान
पारंपरिक आदमचीनी धान के पौधे की ऊंचाई लगभग 165 सेंटीमीटर तक होती है. इस कारण यह हवा में जल्दी गिर जाती है. साथ ही इसकी फसल देर से पकती है और लगभग 155 दिनों के बाद कटाई संभव होती है. उत्पादकता भी कम है और बमुश्किल 20-23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार है. बीएचयू के आनुवंशिकी और पादप प्रजनन विभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस धान किस्म को उन्नत तरीके से विकसित किया गया है.
बीएचयू ने मालवीय आदमचीनी धान की खेती की गई है.
नई ‘मालवीय आदमचीनी’ धान
बीएचयू के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार नई किस्म ‘मालवीय आदमचीनी’ धान के पौधे की लंबाई बढ़ाकर 30-40 सेंटीमीटर तक अधिक करने में सफलता पाई है. फसल पकने की अवधि भी 20-30 दिन कम हो गई है, लेकिन सुगंध और स्वाद में कोई बदलाव नहीं आया है.
बीएचयू के कृषि फार्म में परीक्षण के तौर पर ‘मालवीय आदमचीनी’ धान की खेती की गई है. इस धान की प्रति हेक्टेयर न सिर्फ उत्पादकता अधिक है, बल्कि यह जल्दी पककर तैयार भी हो जाती है. साथ ही इसका स्वाद और सुगंध बरकरार रहता है.