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टीबी के कहर से गांववालों को बचाया, ये ग्राम पंचायतें रच रहीं इतिहास

आज हम आपको चार ऐसे लोगों की कहानी बताएंगे, जो अपनी मेहनत और सरकारी योजना का लाभ लोगों तक पहुंचाकर उन्हें टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस बीमारी से मुक्त करने में बड़ी भूमिका निभाई है.

टीबी के कहर से गांववालों को बचाया, ये ग्राम पंचायतें रच रहीं इतिहास
नोएडा | Updated On: 16 Apr, 2025 | 07:19 PM

आज हम आपको चार ऐसे लोगों की कहानी बताएंगे, जिन्होंने अपनी मेहनत से सरकारी योजना का लाभ लोगों तक पहुंचाकर अपने गांव के लोगों को टीबी मुक्त बना दिया.  उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की टीबी के खिलाफ जंग अब रंग ला रही है. गांव-गांव में टीबी मुक्त भारत का सपना साकार हो रहा है और इसकी अगुवाई कर रही हैं ग्राम पंचायतें. 8,563 ग्राम पंचायतें अब टीबी मुक्त हो चुकी हैं. ये कोई छोटी बात नहीं है. सीएम योगी का 2025 तक यूपी को टीबी मुक्त करने का वादा अब जमीन पर दिख रहा है.

यूपी की 8563 पंचायतें टीबी से आजाद

यूपी में कुल 57,783 ग्राम पंचायतें हैं. 2023 में 1,372 पंचायतें टीबी मुक्त हुई थीं. लेकिन 2024 में तो कमाल हो गया 7,191 और पंचायतों ने टीबी मुक्त का तमगा हासिल किया. यानी अब कुल 8,563 पंचायतें टीबी से आजाद हैं. खास बात यह कि 435 पंचायतें लगातार दूसरी बार टीबी मुक्त रहीं. इन पंचायतों को महात्मा गांधी की प्रतिमा और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया. राज्य टीबी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर कहना है कि ये जन भागीदारी की जीत है. ग्रामीण लोग अब टीबी को समझ रहे हैं, उसका इलाज करा रहे हैं.

शिल्पी और अनीता ने बदली गांव की तस्वीर

लखनऊ के मलिहाबाद की शिल्पी शुक्ला ने अपनी पंचायत बढ़ी गादी को एक साल में टीबी मुक्त कर दिया. 2020 में जब वो प्रधान बनीं, तब 20 मरीज थे. शिल्पी ने हर मरीज को दवा खिलाई, परिवारों को जागरूक किया. नतीजा यह है कि सारे मरीज ठीक हो गए. इसके अलावा बहराइच की अनीता देवी ने तो कारीडीहा पंचायत को लगातार दूसरी बार टीबी मुक्त बनाकर इतिहास रच दिया. अनीता ने आशा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर जांच और इलाज हर घर तक पहुंचाया. उनका कहना है कि गांव के बाहर ‘टीबी मुक्त कारीडीहा’ का बोर्ड लगेगा, ताकि सबको प्रेरणा मिले.

रमाशंकर और दशरथ ने टीबी मुक्त कराये गांव

वाराणसी की रामनगर, गाडर और कृष्णापुर कला पंचायतें भी दूसरी बार टीबी मुक्त हुईं. ग्राम प्रधान रमाशंकर यादव ने ग्राम सभा में टीबी की जानकारी दी. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा और सीएचओ ने जांच-इलाज का जिम्मा संभाला. वहीं फतेहपुर के दशरथ ने घोषी गांव के 8 मरीजों को ठीक करवाया. उनका कहना है कि टीबी से लड़ाई में सबको साथ आना होगा. उनका कहना है कि इसके अलावा आयुष्मान आरोग्य मंदिरों ने भी जांच और दवाइयों को गांव तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई.

सरकार का लक्ष्य 2025 तक यूपी हो टीबी मुक्त

योगी सरकार का लक्ष्य 2025 तक यूपी को टीबी मुक्त करना है. इसके लिए जांच, इलाज और जागरूकता बढ़ाई गई है. टीबी मुक्त ग्राम पंचायत अभियान ने ग्रामीणों को सशक्त किया. इसके साथ ही डर और भ्रांतियों को खत्म करने का काम किया. प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा का कहना है कि ये सामूहिक जिम्मेदारी की मिसाल है.

Published: 16 Apr, 2025 | 06:39 PM

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