Cyclone Montha: हाल ही में भारत के दक्षिणी और पूर्वी तटों पर चक्रवात मोंथा (Cyclone Montha) ने जमकर कहर बरपाया. तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में तेज बारिश और हवाओं के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. मौसम विभाग के अनुसार मोंथा अब कमजोर पड़ चुका है, लेकिन इसका असर बंगाल और झारखंड के कुछ हिस्सों में अब भी देखने को मिल रहा है. इस तूफान के बाद एक बार फिर लोगों के मन में यह सवाल उठने लगा है… आखिर इन तूफानों को मोंथा, भोला, फानी या तितली जैसे नाम क्यों दिए जाते हैं? क्या कोई विशेष कारण है कि हर तूफान का नाम इतना अलग और दिलचस्प होता है?
तूफानों के नामकरण की शुरुआत कैसे हुई?
तूफानों को नाम देने की परंपरा बहुत पुरानी नहीं है. दरअसल, साल 2000 से पहले तूफानों को उनकी तारीख, दिशा या तीव्रता के आधार पर पहचाना जाता था. उदाहरण के लिए, मौसम विभाग कहता था “25 अक्टूबर का चक्रवात” या “दक्षिणी खाड़ी का तूफान”. लेकिन जब एक साथ कई तूफान आते थे, तो लोगों में भ्रम फैल जाता था. इसी समस्या को दूर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था WMO (वर्ल्ड मीट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन) और एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के देशों ने तय किया कि हर तूफान को एक अलग नाम दिया जाएगा. इससे चेतावनी और जानकारी आम जनता तक अधिक स्पष्ट रूप से पहुंचाई जा सकेगी.
कौन तय करता है तूफानों के नाम?
आज एशिया क्षेत्र में कुल 13 देश मिलकर चक्रवातों के नाम तय करते हैं, इनमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, ओमान, ईरान, कतर, यूएई, सऊदी अरब, यमन और मालदीव शामिल हैं.
हर देश अपनी तरफ से कुछ नामों की सूची भेजता है. इन नामों को एक लिस्ट में क्रमवार रखा जाता है. जब भी कोई नया तूफान बनता है, तो उस सूची से अगला नाम उसे दे दिया जाता है.
उदाहरण के लिए भारत ने गति, गुलाब, शक्ति, अग्नि जैसे नाम सुझाए हैं, पाकिस्तान ने तितली, फानी जैसे नाम दिए, जबकि बांग्लादेश ने भोला, मोरा जैसे नाम चुने. हाल ही में बना मोंथा तूफान म्यांमार की ओर से सुझाया गया नाम था.
नाम ऐसा जो सबको याद रहे
तूफान के नाम रखने का सबसे अहम नियम यह है कि वह छोटा, सरल और याद रखने में आसान हो. नाम किसी देश, व्यक्ति, धर्म या राजनीति से जुड़ा नहीं होना चाहिए. WMO के विशेषज्ञ हर नाम को सावधानी से चुनते हैं ताकि यह किसी को आहत न करे और अलग-अलग भाषाओं में भी आसानी से उच्चारित किया जा सके. इसका उद्देश्य केवल पहचान को आसान बनाना ही नहीं, बल्कि चेतावनी को तुरंत समझ में आने योग्य बनाना भी है. उदाहरण के लिए, अगर मौसम विभाग कहे कि “मोंथा तूफान 24 घंटे में तट से टकराएगा”, तो लोगों को तुरंत पता चल जाता है कि यह एक गंभीर चेतावनी है.
भारत में कहां आते हैं ज्यादातर तूफान?
भारत में ज्यादातर चक्रवात बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उठते हैं. बंगाल की खाड़ी से बनने वाले तूफानों का असर ओडिशा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा पड़ता है. वहीं, अरब सागर से उठे तूफान गुजरात, महाराष्ट्र और केरल को प्रभावित करते हैं. हाल के वर्षों में भारत ने तौकते, यास, फानी, निसर्ग, और अब मोंथा जैसे कई तूफानों का सामना किया है.
नाम रखने से क्या होता है फायदा?
तूफानों को नाम देने का फायदा यह है कि इससे आपातकालीन सेवाओं, मीडिया और आम जनता को जानकारी देने में आसानी होती है. जब किसी चेतावनी में “मोंथा तूफान” या “शक्ति चक्रवात” का नाम लिया जाता है, तो लोग तुरंत सतर्क हो जाते हैं और तैयारी करने लगते हैं. इसके अलावा, नाम की वजह से रिकॉर्ड रखना और पुराने तूफानों की तुलना करना भी आसान हो जाता है.