सर्दियों में जरा सी लापरवाही और मर सकते हैं आपके पशु! अपनाएं ये 6 जरूरी उपाय, बचाएं लाखों का नुकसान
Pashuon Ko Thand Se Kaise Bachaye: सर्दियों का मौसम इंसानों के लिए तो सुकून भरा होता है, लेकिन पशुपालकों के लिए यही समय सबसे बड़ी परीक्षा लेकर आता है. ठंडी हवाएं, गीली जमीन और तापमान में गिरावट – ये सब मिलकर पशुओं की सेहत और दूध उत्पादन पर गहरा असर डालते हैं. अगर थोड़ी सी लापरवाही हो जाए, तो जानवर बीमार पड़ सकते हैं या उनकी जान तक खतरे में पड़ सकती है. ऐसे में हर जिम्मेदार पशुपालक के लिए जरूरी है कि वो सर्दियों से पहले ही तैयारी कर ले और कुछ आसान उपाय अपनाकर अपने पशुओं को ठंड से सुरक्षित रखे.
Dairy Farming Tips: ठंड के मौसम में पशुओं को खुले में बांधना खतरनाक साबित हो सकता है. उनके बाड़े को गर्म और सूखा रखना बेहद जरूरी है. दीवारों पर बोरियां, प्लास्टिक शीट या तिरपाल लगाकर ठंडी हवा के प्रवेश को रोकें.
Dairy Farming: फर्श पर सूखी भूसी, फूस या पुराने बोरे बिछाएं ताकि पशु जमीन की नमी से बचे रहें. रोज सुबह-शाम बिछावन की सफाई कर नई सामग्री डालना न भूलें.
Pashu Palan Ke Tips: सर्दियों में ठंडा पानी पीने से पशुओं को गले, फेफड़े और श्वसन संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए उन्हें दिन में दो बार गुनगुना पानी पिलाना जरूरी है. इससे उनका शरीर गर्म रहता है, पाचन बेहतर होता है और दूध उत्पादन पर भी सकारात्मक असर पड़ता है.
Winter Animal Care: ठंड के मौसम में पशुओं को ऊर्जा की जरूरत ज्यादा होती है. उनके आहार में गुड़, चोकर, सरसों की खल, दाना और हरा चारा शामिल करें. यह न सिर्फ उन्हें ठंड से लड़ने की ताकत देता है बल्कि दूध उत्पादन बनाए रखने में भी मदद करता है.
Animal Care Tips: पशुओं की नियमित सफाई करें, उनके बालों की कंघी करें और रोजाना कुछ समय के लिए धूप में बैठाएं. धूप शरीर में विटामिन-डी का स्तर बढ़ाती है, जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली भी सुदृढ़ होती है. साफ-सुथरे और सूखे पशु संक्रमणों से दूर रहते हैं.
Dairy Animal Care: सर्दियों में पशुओं में खुर सड़ने, त्वचा फटने या सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं आम हैं. अगर पशु सुस्त दिखे, खाना कम खाए या दूध कम दे तो तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लें. शुरुआती लक्षणों पर ध्यान देने से बड़ी बीमारी से बचाव किया जा सकता है.
Cattle Farming: सर्दी के मौसम में पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए समय पर टीकाकरण करवाना बेहद जरूरी है. इसके साथ ही कीड़े मारने की दवाएं नियमित रूप से दें. इन छोटी-छोटी सावधानियों से पशु स्वस्थ रहेंगे और उनकी उत्पादन क्षमता बरकरार रहेगी.