खेती-किसानी के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है कीटों से फसल की सुरक्षा. आमतौर पर किसान कीटनाशकों का भारी इस्तेमाल करते हैं, जिससे सिर्फ कीट ही नहीं, बल्कि पर्यावरण और लाभकारी जीवों को भी नुकसान पहुंचता है. लेकिन अब हैदराबाद स्थित एक स्टार्टअप ने वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एक ऐसा स्मार्ट उपकरण तैयार किया है जो इस समस्या को बहुत हद तक हल कर सकता है.
क्या है iTrapper और कैसे करता है काम?
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, iTrapper नाम का यह डिवाइस एक इंटेलिजेंट लाइट ट्रैप है, जिसे हैदराबाद की कंपनी Delta Things Pvt. Ltd. ने प्रो. जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (PJTSAU) के वैज्ञानिकों की मदद से तैयार किया है. यह डिवाइस खासतौर पर कपास और धान जैसी फसलों में लगने वाले कीटों, जैसे पिंक बॉलवॉर्म और गॉल मिज को निशाना बनाकर काम करता है.
इसमें UV और विजिबल लाइट दोनों का उपयोग होता है, लेकिन सबसे खास बात यह है कि यह केवल हानिकारक कीटों को आकर्षित करता है और लाभकारी कीटों को नहीं.
कैसे अलग है बाकी लाइट ट्रैप्स से?
परंपरागत लाइट ट्रैप आमतौर पर पूरे रात या कुछ घंटों तक चलते हैं और सभी प्रकार के कीटों को आकर्षित कर लेते हैं. इससे फसलों के लिए जरूरी अच्छे कीट भी मर जाते हैं और जैव विविधता को नुकसान पहुंचता है. लेकिन iTrapper पूरी तरह से फसल-विशेष और कीट-विशेष की रणनीति अपनाता है. इस डिवाइस में एक मल्टीवेलनथ LED बल्ब और IoT-इनेबल्ड माइक्रोकंट्रोलर होता है, जो यह तय करता है कि किस समय और किस रंग की रोशनी जलानी है.
जैसे –
- कपास के लिए, सूर्यास्त के बाद 2-3 घंटे तक विशेष तरंगदैर्ध्य की लाइट ऑन होती है, जिससे पिंक बॉलवॉर्म आकर्षित होता है.
- धान के लिए, यह डिवाइस रात 12 बजे से 2 बजे तक सक्रिय होता है, जब गॉल मिज कीट ज्यादा एक्टिव होता है.
- सबसे शानदार बात यह है कि जब लाभकारी कीट एक्टिव होते हैं, तब यह डिवाइस खुद-ब-खुद बंद हो जाता है, जिससे वे सुरक्षित रहते हैं.
किसानों को क्या फायदा मिलेगा?
इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि किसानों को बार-बार कीटनाशकों पर पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे. इससे खेती की लागत घटेगी, पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा और फसल की गुणवत्ता भी सुधरेगी.
iTrapper अब तक 15,000 से ज्यादा यूनिट्स बेच चुका है, जिससे कंपनी को 50 लाख रुपये की कमाई हुई है.
इंटरनेशनल वर्जन और नई खोजों पर भी काम
स्टार्टअप का एक एक्सपोर्ट वर्जन भी है, जिसमें मोबाइल ऐप, ब्लूटूथ, क्लाउड डेटा और एक कैमरा लगा है जो हर घंटे की तस्वीर लेकर कीटों की सक्रियता का विश्लेषण करता है.
इतना ही नहीं, कंपनी जर्मनी के Fraunhofer Institute के साथ मिलकर यह भी रिसर्च कर रही है कि कीटों की गतिविधि मौसम के अनुसार कैसे बदलती है.
एक और दिलचस्प प्रयोग में, यह डिवाइस ऐसी विशेष लाइट तरंगें निकलती है जो Mayflies को आकर्षित करती हैं, इन्हें मत्स्य पालन (फिशरीज) में प्रोटीन युक्त आहार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
ग्लोबल पहचान और गेट्स फाउंडेशन का समर्थन
इस स्टार्टअप को Bill & Melinda Gates Foundation से भी समर्थन मिला है, जो दर्शाता है कि यह तकनीक सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के किसानों की खेती को स्मार्ट, सुरक्षित और टिकाऊ बना सकती है.