गन्ना का उत्पादन बढ़ाएगा ISMA का एआई नेटवर्क, किसानों की कमाई बढ़ेगी और लागत घटेगी
चीनी उद्योग के शीर्ष निकाय ISMA ने ADT बारामती के साथ मिलकर गन्ना उत्पादकता और किसानों की आय बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय AI नेटवर्क लॉन्च किया है.
गन्ना खेती में बदलाव लाने और ग्रामीण आजीविका को बेहतर बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) ने ADT बारामती के साथ मिलकर एक अग्रणी राष्ट्रीय AI-ML नेटवर्क कार्यक्रम शुरू किया है. यह पहल गन्ने की का उत्पादन, क्वालिटी, टिकाऊ और किसानों की कमाई में बढ़ोत्तरी करेगी. ISMA की इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसान इस बदलाव के केंद्र में रहें. हाई उपज और बेहतर संसाधन उपयोग न केवल चीनी की रिकवरी में सुधार करते हैं, बल्कि कृषि लाभ को भी सीधे तौर पर बढ़ाते हैं.
गन्ना उपज और क्वालिटी के लिए कई संस्थानों से करार
ISMA ने इसे बड़े पैमाने पर लागू करने के लिए कृषि विकास ट्रस्ट (ADT) बारामती और मैप माई क्रॉप (MMC) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो AI-ऑपरेटेड कृषि निगरानी में विशेषज्ञता वाला एक एग्रीटेक प्लेटफ़ॉर्म है. साथ मिलकर उन्होंने विविध कृषि इकोसिस्टम में गन्ना का उत्पादन, क्वालिटी बेहतर करने के लिए एआई और एमएल से लैस राष्ट्रीय नेटवर्क कार्यक्रम की शुरुआत की है.
1 हजार से अधिक किसानों को तकनीक से मिला लाभ
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और माइक्रोसॉफ्ट के साथ एडीटी के सहयोग से 2024 में गन्ना फसल खेती प्रथाओं में क्रांतिकारी सुधारों के लिए एआई, कंप्यूटर विज़न और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल नामक परियोजना शुरू की गई, जिसके तहत 1,000 से अधिक किसानों को मशीन लर्निंग और कंप्यूटर विज़न टूल्स सहित एआई ऑपरेटेड समाधानों से लैस किया गया है ताकि वे अपनी गन्ना खेती के तरीकों को और बेहतर बना सकें.
इस पहल से ये रिजल्ट मिले
- · फसल उपज में 40% वृद्धि
- · श्रम लागत में 35% कमी
- · जल उपयोग में 30% बचत
- · इनपुट लागत और समग्र व्यय में उल्लेखनीय कमी
- · कटाई दक्षता में 35% सुधार
- · सटीक खेती के माध्यम से ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी
100 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक चीनी पैदा होगी
यह नई डिजिटल पहल औसत गन्ना उत्पादकता को 100 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक और चीनी प्राप्ति को 11 फासदी या उससे अधिक तक बढ़ाने की तत्काल जरूरत को समझते हुए बनाई गई है. इस्मा ने पहले ज्यादा उपज वाली किस्मों और कुशल कृषि तरीकों को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के गन्ना अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी की थी.
टेक्नोलॉजी सपोर्टेड नेटवर्क किसानों को बेहतर रिजल्ट देगा
ISMA के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि इस पहल के केंद्र में भारतीय किसान हैं. जब हम उत्पादकता बढ़ाने की बात करते हैं तो हम किसानों की आय बढ़ाने, उनकी लंबे समय तक स्थिरता पक्की करने और कृषि को अधिक टिकाऊ बनाने की बात कर रहे होते हैं. यह टेक्नोलॉजी सपोर्टेड नेटवर्क किसानों को बेहतर निर्णय लेने, कम संसाधनों का उपयोग करने और प्रति एकड़ बेहतर लाभ पाने में मदद करेगा.
उन्होंने कहा कि एआई नेटवर्क कार्यक्रम प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में शुरू किया जा रहा है और इसमें चीनी मिलें, अनुसंधान संस्थान और किसान समूह शामिल होंगे. इस कार्यक्रम से डिजिटल रूप से संचालित, टिकाऊ खेती के लिए एक राष्ट्रीय मॉडल के रूप में काम करने की उम्मीद है जो किसानों को प्राथमिकता देता है.