मौसम विभाग ने फरवरी 2025 के लिए पूर्वानुमान जारी किया है. इस पूर्वानुमान में मौसम विभाग ने बताया है कि 2025 में देशभर में सामान्य से कम बारिश और अधिक तापमान रह सकता है. मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान देश के कई हिस्सों में न्यूनतम और अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रह सकता है. मौसम में इस बदलाव का असर गेहूं, सरसों और चना जैसी फसलों पर भी देखने को मिल सकता है. तेज गर्मी से फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका है.
कम बारिश और बढ़ता तापमान
मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी में देशभर में औसत से 81% से कम बारिश हो सकती है. उत्तर-पश्चिम भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप के कुछ हिस्सों को छोड़कर, अधिकतर इलाकों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहेगा. उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में ठंड के दिनों की संख्या सामान्य से कम रहने का अनुमान है.
खेतों पर पड़ेगा असर
फरवरी में बारिश की कमी और बढ़ते तापमान का सीधा असर किसानों की फसलों पर दिखाई दे सकता है. मौसम को लेकर ये खबर तब आई है, खासकर जब उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में गेहूं की फसल फूलने और दाना बनने के चरण में है, ऐसे में अधिक तापमान और कम नमी से इसका उत्पादन प्रभावित हो सकता है.
इसके अलावा, सरसों और चना जैसी फसलें समय से पहले पक सकती हैं. अगर ऐसा हुआ तो इनकी पैदावार और गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ सकता है. गेहूं और दूसरी फसलों के अलावा सेब और गुठलीदार फलों के पेड़ों पर भी असर दिख सकता है, क्योंकि अधिक तापमान के चलते समय से पहले फूल आ सकते हैं, जिससे फलों की गुणवत्ता खराब हो सकती है. किसानों को नुकसान हो सकता है.
किसानों को दिए सुझाव
मौसम विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे फसलों को बचाने के लिए हल्की सिंचाई करें. बढ़ते तापमान और बारिश की कमी के असर को कम किया जा सके. उत्तरी भारत के प्रमुख राज्य जैसे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में तापमान सामान्य या सामान्य से कम रहने की संभावना है, जिससे वहां फसलों पर शीतलहर का असर न के बराबर रहेगा.
किन इलाकों में होगी कम बारिश?
मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2025 में उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एलपीए के 78% तक कम बारिश होने की संभावना है.
फरवरी में कैसी रहेगी ठंडक?
इस बार देशभर में शीतलहर वाले दिनों की संख्या सामान्य से कम रह सकती है. उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में ठंड के दिन अपेक्षाकृत कम होने का अनुमान लगाया गया है.
प्रशांत और हिंद महासागर की स्थितियां
वर्तमान में प्रशांत महासागर में ला नीना की कमजोर स्थिति बनी हुई है. इससे समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से कम है. अनुमान है कि अप्रैल 2025 तक यह स्थिति बनी रहेगी, जिसके बाद ईएनएसओ-तटस्थ स्थिति बनने की संभावना है. वहीं, हिंद महासागर में तटस्थ आईओडी की स्थिति अगले दो महीनों तक बनी रह सकती है.
फरवरी 2025 में मौसम सामान्य से अलग रह सकता है. कम बारिश और अधिक तापमान के कारण किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है. खेती पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए समय-समय पर सिंचाई और फसल प्रबंधन के उपाय अपनाने की सलाह दी गई है.