अमेरिकी टैरिफ से भारत को झटका, झींगा निर्यातकों की मुश्किलें बढ़ीं
अब तक भारत को झींगा निर्यात पर 8% शुल्क देना पड़ता था, लेकिन ट्रंप के फैसले के बाद यह शुल्क बढ़कर 26-27% हो सकता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के द्वारा लिए गए हाल के टैरिफ फैसलों का असर भारत के समुद्री खाद्य उद्योग, खासकर झींगा निर्यात पर पड़ने वाला है. ये फैसले भारतीय निर्यातकों के लिए चिंता का कारण बन चुके हैं. भारत का झींगा अमेरिका में सबसे ज्यादा निर्यात होता है, और ये निर्यात भारतीय किसानों और निर्यातकों के लिए महत्वपूर्ण आय का स्रोत है. हालांकि भारत पर शुल्क का भार कुछ देशों के मुकाबले कम है, लेकिन फिर भी इसका असर साफ तौर पर देखा जा सकता है.
भारतीय झींगा निर्यात की स्थिति
भारत ने 2023-24 वित्तीय वर्ष में करीब 1.9 बिलियन डॉलर के सीफूड का निर्यात अमेरिका को किया. इसमें सफेद झींगा का प्रतिशत सबसे ज्यादा था. आंकड़ों के अनुसार, भारत के झींगा निर्यात का 41% हिस्सा अमेरिका को जाता है, जो भारत का सबसे बड़ा बाजार है..
शुल्क वृद्धि का असर
अब तक भारत को झींगा निर्यात पर 8% शुल्क देना पड़ता था, लेकिन ट्रंप के फैसले के बाद यह शुल्क बढ़कर 26-27% हो सकता है. साथ ही, अन्य खर्चों के साथ मिलाकर यह शुल्क लगभग 45% तक पहुंच सकता है. इसका मतलब है कि भारत को झींगा निर्यात में ज्यादा खर्च करना पड़ेगा, जिससे व्यापार पर नकारात्मक असर हो सकता है. हालांकि, भारत के मुकाबले अन्य देशों पर जो शुल्क लगाया गया है, वह कही ज्यादा है, जिससे भारत को थोड़ी राहत मिल सकती है.
भारत के मुकाबले अन्य देशों की स्थिति
भारत का मुकाबला, सीफूड निर्यातक देश इक्वाडोर, वियतनाम और इंडोनेशिया हैं. इन देशों पर भी अमेरिकी टैरिफ बढ़ाए गए हैं, लेकिन इन पर लगाए गए शुल्क भारत के मुकाबले ज्यादा हैं. इसका फायदा इक्वाडोर को हो सकता है, और वह अमेरिका को झींगा का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन सकता है. वहीं, वियतनाम और इंडोनेशिया पर शुल्क भारत से ज्यादा है, जिससे भारत को थोड़ी राहत मिल सकती है.
नीति आयोग का सकारात्मक रुख
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने इस मामले में सकारात्मक रुख अपनाया है. उनका कहना है कि शुरुआती दौर में नेगेटिव असर हो सकता है, लेकिन यह अस्थायी होगा. उनके अनुसार, अमेरिका सीफूड्स के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर नहीं हो सकता, इसलिए उन्हें भारत से कम शुल्क पर झींगा निर्यात करना पड़ेगा. रमेश चंद का मानना है कि यह परिवर्तन समय के साथ ठीक हो जाएगा और भारत को ज्यादा नुकसान नहीं होगा.
उद्योग की चिंताएं
इस फैसले के बाद सीफूड उद्योग में चिंता बनी हुई है. कई कंपनियों के शेयर गिर गए हैं और कुछ निर्यातक मानते हैं कि भारत को नए बाजारों की तलाश करनी होगी. हालांकि नीति आयोग के सकारात्मक रुख के बावजूद, उद्योग जगत में कुछ निर्यातकों को यह डर है कि यह संकट लंबे समय तक रह सकता है और इससे निर्यात में गिरावट हो सकती है.