केंद्रीय बजट 2025-26 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का ऐलान किया गया है. विशेषज्ञों की मानें तो इस योजना से कृषि के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. इसके तहत कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के लिए बजट आवंटन चार फीसदी बढ़ाकर बढ़कर 1.37 लाख करोड़ का कर दिया गया है. माना जा रहा है कि इस योजना से किसानों की आजीविका बढ़ेगी और कृषि को बढ़ावा मिलेगा. एक नजर डालिए कि आखिर इस योजना की खास बातें क्या हैं.
कैसे काम करेगी यह योजना
इस योजना मकसद ऐसे 100 जिलों में कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है जहां अभी यह औसत से भी कम है. भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर करता है. करीब 55 फीसदी आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर कृषि और इसकी गतिविधियों में लगी हुई है. इसके बावजूद कई जिलों में कृषि उत्पादकता औसत से भी कम है. इस वजह से किसानों की आय में भी इजाफा नहीं हो पा रहा है.
प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के तहत कृषि में टेक्नोलॉजी के जरिये टिकाऊ और जलवायु के अनुकूल कृषि को बढ़ावा दिया जाएगा. माना जा रहा है कि योजना से देश भर में करीब 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिल सकता है. आपको बता दें कि सरकार ने पहले ही देश भर में कम उत्पादकता, मध्यम फसल वृद्धि और ऋण तक सीमित पहुंच वाले 100 जिलों की पहचान कर ली है.
योजना की खास बातें
इस योजना को जिन खास तरीकों को दिमाग में रखकर लागू किया जाएगा, वो इस तरह से हैं:
योजना के जरिये फसल विविधीकरण और टिकाऊ खेती के तरीकों को बढ़ावा देकर कृषि उत्पादकता को बढ़ाया जाएगा.
पंचायत और ब्लॉक स्तर पर फसल कटाई के बाद भंडारण के लिए बुनियादी ढांचे का विकसित किया जाएगा ताकि बर्बादी को कम किया जा सके और किसानों को बेहतर कीमत हासिल हो.
इस योजना में भूमि के प्रयोग और फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा.
किसानों को आधुनिक उपकरणों, गुणवत्ता वाले बीजों और एडवांस्ड एग्री टेक्निक्स में निवेश करने के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण प्रदान किए जाएंगे.
योजना से किसको होगा फायदा:
छोटे और सीमांत किसान जो अपनी उपज बढ़ाने के लिए आर्थिक मदद और आधुनिक तकनीकों की तलाश कर रहे हैं.
कृषि सहकारी समितियां और FPO जो अपनी बाजार पहुंच का विस्तार करना चाहते हैं.
ऐसे एग्री टेक स्टार्टअप्स जो उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए इनोवेटिव सोल्यूशंस को डेवलप कर रहे हैं.
महिला किसान और सेल्फ हेल्प ग्रुप्स (SHG)जो टेक्नोलॉजी के जरिये कृषि क्षेत्र में वित्तीय स्वतंत्रता की कोशिशें कर रहे हैं.
ग्रामीण समुदाय को बेहतर बुनियादी ढांचे, बढ़ी हुई ऋण उपलब्धता और रोजगार के अवसरों से फायदा मिलेगा.