प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना: 9 सालों में कैसे बदल गई महिलाओं की जिदगी?

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गरीब परिवारों को एलपीजी की सस्ती दरों पर आपूर्ति की जा रही है. इस योजना के कारण, एलपीजी की कीमत अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है.

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना: 9 सालों में कैसे बदल गई महिलाओं की जिदगी?
नई दिल्ली | Published: 1 May, 2025 | 09:02 AM

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) ने आज से लगभग 9 साल पहले, 1 मई 2016 को भारत में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया था. यह योजना गरीब परिवारों की महिलाओं को बिना किसी जमा राशि के एलपीजी कनेक्शन देने के लिए शुरू की गई थी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को पारंपरिक ईंधनों जैसे लकड़ी, गोबर (उपला) और कोयले से मुक्ति दिलाना है. इसके साथ ही, यह स्वास्थ्य, पर्यावरण और महिला सशक्तिकरण में भी अहम योगदान दे रही है. आइए जानते हैं इस योजना के बारे में कुछ खास बातें, जिनसे समाज और महिलाओं की जिंदगी में बदलाव आया है.

एलपीजी कनेक्शन से महिलाओं को मिली राहत

भारत में अधिकतर ग्रामीण परिवारों में खाना पकाने के लिए पारंपरिक ईंधन का इस्तेमाल किया जाता था, जैसे लकड़ी या उपला. इनका उपयोग करने से घरों में धुआं भरता था, जिससे महिलाओं को सांस की बीमारियां और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होती थीं. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत, इन महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन दिया गया, जिससे उन्हें स्वच्छ और सुरक्षित रसोई ईंधन मिला. इससे न केवल उनके स्वास्थ्य में सुधार आया, बल्कि खाना बनाने में समय और मेहनत भी कम हो गई.

आंकड़ों से उज्ज्वला की सफलता

ऊर्जा और पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 1 मार्च 2025 तक भारत में 32.94 करोड़ घरों में एलपीजी कनेक्शन है, जिनमें से 10.33 करोड़ लोग प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत लाभ उठा रहे हैं. इस योजना के तहत 2016 से अब तक लाखों महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन दिया गया है, जिससे उनका जीवन और स्वास्थ्य दोनों में सुधार हुआ है.

उज्ज्वला 2.0: योजना का विस्तार

अगस्त 2021 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का विस्तार किया गया और इसे उज्ज्वला 2.0 नाम दिया गया. इस योजना के तहत 1 करोड़ अतिरिक्त कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया, जिसे 2022 तक पूरा कर लिया गया. इसके बाद 75 लाख और कनेक्शन जारी करने की मंजूरी दी गई, जो जुलाई 2024 तक पूरा किया गया. इस योजना का फायदा अब प्रवासी परिवारों को भी मिल रहा है, और वे केवल स्वघोषणा पत्र के आधार पर कनेक्शन प्राप्त कर सकते हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और विकास

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने ग्रामीण इलाकों में एलपीजी डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को भी बढ़ावा दिया है. इससे न केवल एलपीजी की उपलब्धता बढ़ी है, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा हुए हैं. 1 अप्रैल 2016 से 31 अक्टूबर 2024 तक देशभर में कुल 7959 नए एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर नियुक्त किए गए, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में हैं.

सस्ती कीमतों पर एलपीजी

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गरीब परिवारों को एलपीजी की सस्ती दरों पर आपूर्ति की जा रही है. इस योजना के कारण, एलपीजी की कीमत अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है. उदाहरण के तौर पर, पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल में घरेलू एलपीजी की कीमतें भारत के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं. इससे गरीब परिवारों को सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा मिल रही है, जो उनके जीवन को बेहतर बना रही है.

महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने महिलाओं के जीवन में एक नया बदलाव लाया है. पारंपरिक जलाऊ ईंधन से छुटकारा पाकर महिलाएं अब ज्यादा समय अपने परिवार की देखभाल, शिक्षा और अन्य कार्यों में लगा पा रही हैं. इसके अलावा, इस योजना ने ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद की है, क्योंकि एलपीजी वितरण के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं रोजगार से जुड़ी हैं.

सबसे ज्यादा इन राज्यों को मिले कनेक्शन

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 1.85 करोड़ उज्ज्वला कनेक्शन दिए गए हैं. इसके बाद पश्चिम बंगाल (1.23 करोड़), बिहार (1.16 करोड़), मध्य प्रदेश (88.4 लाख) और राजस्थान (73.83 लाख) का स्थान है.

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