अब मिल्कशेक भी सरकार के निशाने पर, बढ़ सकता है शुगर टैक्स का दायरा

सरकार अब चाहती है कि यह टैक्स केवल सोडा या कोल्ड ड्रिंक्स तक सीमित न रहे, बल्कि मिल्कशेक और दूध आधारित अन्य मीठे ड्रिंक्स पर भी लागू हो.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 29 Apr, 2025 | 05:21 PM

हम सबने कभी न कभी एक ठंडी-मीठी मिल्कशेक या स्वादिष्ट चॉकलेट ड्रिंक का मजा जरूर लिया है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि भविष्य में इन पर भी टैक्स लग सकता है? जी हां, ब्रिटेन सरकार अब शुगर टैक्स को केवल कोल्ड ड्रिंक्स तक सीमित न रखकर मिल्कशेक पर लागू करने की योजना बना रही है. इतना ही नहीं दूध या दूध के विकल्प (जैसे ओट्स, सोया या राइस ड्रिंक) भी इस लिस्ट में शामिल हैं. इस बदलाब के बाद भारत में भी इस टैक्स को लागू करने के बारे में विचार किया जा सकता है. तो आइए आसान भाषा में समझते हैं कि ये प्रस्ताव क्या हैं और इसका हमारे ऊपर क्या असर हो सकता है.

क्या है शुगर टैक्स (Sugar Tax)?

शुगर टैक्स, जिसे आधिकारिक रूप से Soft Drinks Industry Levy (SDIL) कहा जाता है, पहली बार 2018 में ब्रिटेन में लागू किया गया था. इसका मकसद था, लोगों में चीनी की खपत को कम करके मोटापे और उससे जुड़ी बीमारियों से लड़ने में मदद करना. इस टैक्स के लागू होने से तब से अब तक 89% फिजी ड्रिंक्स ने अपनी रेसिपी में बदलाव करके टैक्स से बचाव किया है.

यह टैक्स उन ड्रिंक्स पर लगाया जाता है जिनमें बहुत अधिक मात्रा में चीनी होती है, खासकर बाजार में बिकने वाले डिब्बाबंद और कैन वाले सॉफ्ट ड्रिंक्स.

अब क्या बदलाव आ सकते हैं?

सरकार अब चाहती है कि यह टैक्स केवल सोडा या कोल्ड ड्रिंक्स तक सीमित न रहे, बल्कि मिल्कशेक और दूध आधारित अन्य मीठे ड्रिंक्स पर भी लागू हो. इसके अलावा, सरकार चीनी की सीमा को भी कम करने की सोच रही है, यानी अब अगर किसी ड्रिंक में 100 मिलीलीटर में 4 ग्राम से ज्यादा चीनी हुई, तो वह टैक्स के दायरे में आ सकता है. पहले यह सीमा 5 ग्राम थी.

क्यों हटाया जा रहा है दूध आधारित ड्रिंक्स से छूट?

जब यह टैक्स शुरू हुआ था, तब मिल्क-शेक जैसे पेयों को छूट दी गई थी क्योंकि इनमें कैल्शियम होता है, जो बच्चों के लिए जरूरी माना गया है. लेकिन सरकार के अनुसार अब यह देखा गया है कि बच्चे अपनी कैल्शियम की जरूरत का केवल 3.5% ही इन ड्रिंक्स से लेते हैं, जबकि इनसे मिल रही ज्यादा चीनी से नुकसान ज्यादा हो रहा है.

प्रस्ताव पास होने पर क्या होगा

National Obesity Forum ने इस फैसले को “सही दिशा में एक जरूरी कदम” बताया है. इसके साथ ही सरकार का मानना है कि इससे कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स में चीनी की मात्रा और घटाएंगी, जैसा कि सोडा इंडस्ट्री में पहले से हो रहा है. बाजार में बड़ी बड़ी मात्रा में शुगर फ्री ड्रिंक्स आने लगे हैं.

ली जाएगी जनता की राय

ब्रिटेन सरकार ने जनता से सुझाव मांगने के लिए एक public consultation शुरू किया है जो 21 जुलाई तक चलेगा. यानी आम लोग और संस्थाएं अपनी राय सरकार तक पहुंचा सकते हैं. लोगों की राय मिलने के बाद ही सरकार तय करेगी कि दूध या दूध से बने प्रोडक्ट पर टैक्स लागू करेगी या नहीं.

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