e-NAM योजना का फायदा उठाने के लिए अब आधार कार्ड जरूरी, जानें पूरी डिटेल्स

पहले, किसानों के लिए ई-नाम पर पंजीकरण करना आसान था लेकिन आधार कार्ड जोड़ना जरूरी नहीं था. अब सरकार ने नियम सख्त कर दिए हैं ताकि असली किसानों को ही सब्सिडी और दूसरे फायदे मिलें.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 26 Apr, 2025 | 05:33 PM

आज का दौर डिजिटल हो गया है, ऐसे में खेत-खलिहान भी तेजी से तकनीक से जुड़ रहे हैं. इसी बदलाव की एक शानदार मिसाल है ई-नाम (e-NAM). किसानों को उनकी फसल का अच्छा दाम दिलाने और खेती के कारोबार को साफ-सुथरा बनाने के लिए सरकार ने इस ऑनलाइन बाजार की शुरुआत की थी. अब इसमें सरकार ने एक नियम जोड़ दिया है, दरअसल, अब ई-नाम खाते को आधार से जोड़ना जरूरी कर दिया गया है. इससे गड़बड़ी के मौके कम होंगे और किसानों को सरकारी सब्सिडी सीधे उनके बैंक खाते में मिलने लगेगी.

क्या है ई-नाम?

ई-नाम यानी इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट, एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो देशभर के किसानों, व्यापारियों और मंडियों को एक ऑनलाइन बाजार में जोड़ता है. यहां किसान अपनी फसल को सीधे देश के किसी भी व्यापारी को बेच सकते हैं, वो भी बिना बिचौलियों के झंझट के.

पहले, किसानों के लिए ई-नाम पर पंजीकरण करना आसान था लेकिन आधार कार्ड जोड़ना जरूरी नहीं था. अब सरकार ने नियम सख्त कर दिए हैं ताकि असली किसानों को ही सब्सिडी और दूसरे फायदे मिलें.

किसानों को कैसे मिल रहा है फायदा?

बेहतर दाम: अब किसान अपनी उपज को कई व्यापारियों के बीच ऑनलाइन नीलामी के जरिए बेचते हैं. इससे उन्हें फसल का अच्छा भाव मिलता है.

सीधी कमाई: लेनदेन सीधे किसान के बैंक खाते में होता है, यानी अब भुगतान में धोखाधड़ी की गुंजाइश नहीं है.

बिचौलियों से छुटकारा: मंडियों में अक्सर बिचौलिये किसानों का हक मार लेते थे. ई-नाम ने इस समस्या को काफी हद तक खत्म कर दिया है.

देशभर में बाजार: अब किसान सिर्फ अपने गांव या जिले में सीमित नहीं हैं. देश के किसी भी कोने से व्यापारी उनकी उपज खरीद सकते हैं.

सुविधा से व्यापार: मोबाइल ऐप और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए किसान और व्यापारी दोनों कहीं से भी व्यापार कर सकते हैं.

ई-नाम से जुड़ने का तरीका

पंजीकरण: किसान को अपना नाम, बैंक खाता और अब आधार कार्ड की जानकारी देकर पोर्टल या मोबाइल ऐप पर पंजीकरण करना होता है.

उत्पाद की जानकारी: अपनी उपज के बारे में सही जानकारी देनी होती है, जैसे फसल का प्रकार, मात्रा और गुणवत्ता.

नीलामी: व्यापारी ऑनलाइन बोली लगाते हैं और किसान अपनी उपज सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को बेचते हैं.

भुगतान: फसल बेचने के बाद तय कीमत सीधे किसान के खाते में जमा हो जाती है.

एक राष्ट्र, एक बाजार का सपना

ई-नाम का सबसे बड़ा उद्देश्य है, देशभर के कृषि बाजारों को जोड़कर एक मजबूत और एकीकृत प्लेटफॉर्म तैयार करना. इससे छोटे किसानों को भी बड़े बाजारों तक पहुंच मिलती है और उन्हें उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल पाता है.

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Published: 26 Apr, 2025 | 05:32 PM

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