फसल की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की जांच जरूरी, जानिए कैसे-कब कराएं सॉइल टेस्टिंग

मिट्टी की जांच कराना खेती के लिए बेहद जरूरी है, इससे किसानों को मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी मिलती है. इससे वे संतुलित उर्वरकों का इस्तेमाल कर फसलों की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं.

नई दिल्ली | Updated On: 22 Jun, 2025 | 06:19 PM

खेती में अधिक उत्पादन के लिए केवल मेहनत ही नहीं, बल्कि मिट्टी को सही पोषक तत्व की जरूरत होती है. लगातार फसलों की उत्पादन से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा धीरे-धीरे कम होने लगती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता पर प्रभाव पड़ता है. यही कारण है कि किसानों को समय-समय पर मिट्टी की जांच करवानी चाहिए, ताकि वह यह जान सकें कि उनकी मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व मौजूद हैं और किसकी कमी हो रही है. सही जानकारी के आधार पर किसान उर्वरकों और खाद का संतुलित उपयोग कर सकेंगे. जिसे उत्पादन बढ़ने के साथ मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेंगी.

मिट्टी की जांच क्यों जरूरी है

श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार इस जांच की मदद से यह पता चलता है कि मिट्टी में कौन से तत्व मौजूद है और किन पोषक तत्वों की जरूरत है.मिट्टी की जांच के बिना अधिक उर्वरक डालने से फसलों को नुकसान हो सकता है। परीक्षण के जरिए किसान उर्वरक की सही मात्रा और कीमत के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. संतुलित उर्वरक के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बरकरार रहती है, जिससे किसान लगातार अपनी फसलों को अच्छी ग्रोथ के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि मिट्टी में अम्लीयता, क्षारीयता, लवणता या अन्य कोई समस्या है, तो जांच के माध्यम से उसका समाधान किया जा सकता है.

मिट्टी परीक्षण कब कराना चाहिए

किसानों को खेती की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कम से कम तीन वर्ष में एक बार मिट्टी की जांच जरूरी है. मिट्टी की जांच तब करायें जब खेत में कोई फसल न लगी हो. इस वक्त मिट्टी का सैंपल लेना इसलिए सही रहता है, क्योंकि उस समय मिट्टी अपनी सामान्य स्थिति में होती है. यदि खाद या उर्वरक पहले ही डाल दिए जाए तो जांच के नतीजे सही नहीं मिल पाते है.

मिट्टी परीक्षण करने की विधि

मिट्टी का सही परीक्षण करने के लिए नमूना लेना बेहद जरूरी है. नमूना लेने के लिए एक एकड़ भूमि से 5 से 7 स्थानों के अलग-अलग हिस्सों से मिट्टी लेकर एक संयुक्त नमूना तैयार करें. अब खेत में 6 इंच गहरा v आकार का गड्ढा  कर बनाएं. फिर गड्ढे की दीवार को ऊपर से नीचे तक एक इंच मोटी मिट्टी की परत काटकर उसे इकट्ठा कर लें. इस प्रक्रिया को सभी चयनित स्थानों पर दोहराएं और फिर सभी नमूनों को एकत्रित करके अच्छी तरह मिला लें. इसके बाद मिट्टी को चार भागों में बांटें और आमने-सामने के दो भागों को रखें, बाकी दो फेंक दें. यह प्रक्रिया तब तक दोहराएं जब तक 500 ग्राम मिट्टी न बच जाए. नमूने को साफ कपड़े या प्लास्टिक की थैली में भरें और खेती की जानकारी के साथ लैब में जांच के लिए भेजें दें.

किसान ये सावधानियां भी बरतें

सही और सटीक परिणाम के लिए मिट्टी की जांच के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. जैसे कि पेड़ों के नीचे, खेत की मेंढ़ों या सिंचाई नालियों के पास या जहां खाद, गोबर या उर्वरक रखा गया हो, वहां से मिट्टी न लें. यदि खेत में पहले से कोई फसल खड़ी है, तो उस दौरान नमूना लेना सही नहीं होगा. इसे बेहतर आप फसल की कटाई के बाद नमूना लिया जाए.

Published: 22 Jun, 2025 | 06:18 PM

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