सरकार से डेयरी किसानों को बड़ा झटका, दूध पर MSP देने का कोई प्लान नहीं
दूध के लिए सरकारी कीमत तय नहीं किए जाने से किसानों को दूधिये और दूध डेयरी और प्रॉसेसिंग यूनिट्स की ओर से तय मनमानी कीमत पर ही दूध बेचना पड़ता है. पशुपालकों को उचित कीमत पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है.

डेयरी किसानों और पशुलपालकों को दूध की कीमतों को लेकर केंद्र सरकार से बड़ा झटका लगा है. दरअसल, दूध के लिए सरकारी कीमत तय नहीं किए जाने से किसानों को दूधिये और दूध डेयरी और प्रॉसेसिंग यूनिट्स की ओर तय की गई मनमानी कीमत पर ही दूध बेचना पड़ता है. पशुपालकों को उचित कीमत पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. ऐसे में फसलों की तरह ही दूध के लिए भी समर्थन मूल्य यानी एमएसपी तय करने की मांग लंबे समय से की जा रही थी. केंद्र सरकार ने कहा है कि दूध के लिए समर्थन मूल्य लागू करने की उसकी कोई योजना नहीं है.
समर्थन मूल्य या सब्सिडी देने की योजना नहीं – मंत्री
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने कहा कि पशुपालन एवं डेयरी विभाग (DAHD) के पास डेयरी किसानों के लिए मूल्य समर्थन योजना या सब्सिडी शुरू करने की कोई योजना नहीं है. क्योंकि DAHD देश में दूध की खरीद और बिक्री की कीमतों को विनियमित नहीं करता है. राज्यसभा में उन्होंने बताया कि कीमतें सहकारी और निजी डेयरियों द्वारा उनके उत्पादन की लागत और बाजार के आधार पर तय की जाती हैं.
डेयरी का कृषि अर्थव्यवस्था में 5 फीसदी योगदान
उन्होंने कहा कि डेयरी सहकारी क्षेत्र में उपभोक्ता के लगभग 70 से 80 फीसदी रुपये का भुगतान दूध उत्पादक किसानों को किया जाता है. डेयरी क्षेत्र कृषि अर्थव्यवस्था में 5 फीसदी से अधिक का योगदान देता है. पशुधन उप-क्षेत्र से उत्पादन के मूल्य में दूध और दूध उत्पादों का बड़ा हिस्सा होता है. दूध उत्पादन का मूल्य 2022-23 में खाद्यान्न उत्पादन के कुल मूल्य को पार करते हुए 11.16 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया.
डेयरी विकास के लिए लागू की गईं ये योजनाएं
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री ने कहा कि दूध उत्पादन और दूध प्रॉसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने के लिए विभाग देशभर में कई तरह की योजनाएं लागू कर रहा है. इनमें राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी), डेयरी गतिविधियों में संलग्न डेयरी सहकारी समितियों एवं किसान उत्पादक संगठनों को सहायता (एसडीसीएफपीओ), पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ), राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम), राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम), पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) लागू किए गए हैं.
दूध उत्पादन लागत घटाने पर जोर
मंत्री ने बताया कि ये योजनाएं दूध देने वाले पशुओं की दूध उत्पादकता में सुधार, डेयरी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, चारा और चारे की उपलब्धता बढ़ाने और पशु स्वास्थ्य सेवाएं देने में मदद कर रही हैं. इससे दूध उत्पादन की लागत को कम करने, संगठित बाजार उपलब्ध कराने और उपज के लाभकारी मूल्य के साथ डेयरी फार्मिंग से आय बढ़ाने में भी मदद करते हैं.
5 साल में 75000 नई डेयरी समितियां बनाने का टारगेट
एनपीडीडी के तहत 23,516 डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना और उन्हों मजबूत किया गया है. इसके अलावा डीएएचडी और सहकारिता मंत्रालय संयुक्त रूप से सहकारी डेयरी मॉडल के विस्तार के लिए श्वेत क्रांति 2.0 को लागू कर रहे हैं. एनपीडीडी योजना के जरिए 5 साल में देश भर में 75000 नई डेयरी सहकारी समितियां बनाना है.