गाय-भैंस के नवजात बच्चों की नहीं होगी मौत, जन्म के समय इन बातों का रखें ध्यान

बछड़े की नाभि को जन्म के तुरंत बाद करीब 5-6 इंच लंबाई पर काटें. कटे हुए हिस्से को कपड़े से बांधकर टिंचर आयोडीन लगाएं ताकि संक्रमण न हो.

नई दिल्ली | Published: 30 Apr, 2025 | 04:45 PM

गांवों में पशुपालन ना सिर्फ परंपरा है, बल्कि कई परिवारों के लिए रोजी-रोटी का जरिया भी है. लेकिन एक बड़ी चिंता यह है कि कई बार गाय या भैंस के नवजात बच्चे (बछड़ा या बछिया) जन्म के कुछ ही दिनों या महीनों में बीमार होकर मर जाते हैं. इससे पशुपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. अच्छी देखभाल से ना केवल इनकी जान बचाई जा सकती है, बल्कि भविष्य में एक अच्छी दुधारू गाय या भैंस भी तैयार की जा सकती है. तो आइए जानते हैं नवजात बछड़ों की सही देखभाल कैसे करें.

जन्म के तुरंत बाद साफ-सफाई जरूरी

जैसे ही बछड़ा जन्म ले, गाय या भैंस उसे चाटकर साफ करती है. इससे उसके शरीर पर लगी झिल्ली हटती है और बच्चे में माँ का प्यार महसूस होता है. अगर मां ऐसा नहीं करती, तो शरीर पर थोड़ा नमक छिड़कें या फिर रूई से नाक, कान और आंखों की सफाई करें.

नाभि की सही देखभाल

बछड़े की नाभि को जन्म के तुरंत बाद करीब 5-6 इंच लंबाई पर काटें. कटे हुए हिस्से को कपड़े से बांधकर टिंचर आयोडीन लगाएं ताकि संक्रमण न हो.

साफ और सूखी जगह दें

बछड़े को हमेशा सूखी, साफ और हवादार जगह पर रखें. वहां धूप आनी चाहिए लेकिन सीलन या गंदगी नहीं होनी चाहिए. बिछावन के लिए मोटी पुआल बहुत अच्छा विकल्प है.

सही समय पर खीस पिलाना जरूरी

बछड़े को जन्म के 2-3 घंटे के अंदर खीस (पहला गाढ़ा पीला दूध) जरूर पिलाएं. ये उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है. खीस की मात्रा उसके वजन का 1/10 होनी चाहिए.

धीरे-धीरे हरे चारे की आदत डालें

जन्म के 18-20 दिन बाद से बछड़े को थोड़ा-थोड़ा हरा चारा देना शुरू करें, ताकि वह धीरे-धीरे चारा खाने की आदत डाल सके.

सींग समय पर रोधन कराएं

बछड़े के सींग समय रहते रोधन (अविकास) करवा देना चाहिए, खासकर 15 से 45 दिन के बीच. इससे भविष्य में लड़ाई या चोट से बचा जा सकता है.

कीड़े-मकोड़ों से बचाव करें

बछड़े के शरीर में अंदर और बाहर के परजीवी (कृमि आदि) नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसलिए पहले हफ्ते से लेकर 6 महीने तक नियमित अंतराल पर कृमिनाशक दवाएं जरूर दें.