जब कपास की खेती करने वाले किसान ने उगाया राजमा, मोटे मुनाफे से भर गई जेब

मध्‍य महाराष्‍ट्र के तहत आने वाला मराठवाड़ा कपास की खेती के लिए मशहूर है. कपास यहां के किसानों के लिए एक अहम नगदी फसल है. लेकिन यहां कई किसान ऐसे हैं जो परंपरागत फसलों के बजाय नई फसलें उगाकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं.

जब कपास की खेती करने वाले किसान ने उगाया राजमा, मोटे मुनाफे से भर गई जेब
Agra | Updated On: 10 Mar, 2025 | 03:54 PM

मध्‍य महाराष्‍ट्र के तहत आने वाला मराठवाड़ा कपास की खेती के लिए मशहूर है. कपास यहां के किसानों के लिए एक अहम नगदी फसल है जिसके कुल उत्‍पादन में इस क्षेत्र का 25 फीसदी योगदान है. इसके बावजूद यहां कई किसान ऐसे हैं जो परंपरागत फसलों के बजाय नई फसलें उगाकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसे में यहां के किसानों के लिए राजमा की खेती एक नई सफल प्रयोग के तौर पर सामने आई है. ऐसे ही एक किसान हैं बीड के लाहू चव्हाण जो पिछले चार सालों से राजमा की खेती करके फायदा उठा रहे हैं. राजमा की खेती से उन्‍हें आज लाखों का मुनाफा भी हो रहा है.

कम समय में अच्‍छा फायदा

लाहू चव्हाण के पास खेती में डिग्री है और उनका परिवार हमेशा से पारंपरिक खेती में लगा हुआ था. हर साल कपास की फसल उगाई जाती लेकिन उससे उन्हें उतनी इनकम नहीं मिलती जिससे घर चल पाता. ऐसे में तब लाहू ने अपनी सोच बदली और अपने खेतों में राजमा की खेती शुरू कर दी. शुरुआत में लाहू ने सिर्फ आधे एकड़ में राजमा की खेती की थी. जैसे-जैसे इस फसल से अच्छे नतीजे मिलने लगे और उन्होंने खेती के क्षेत्र को बढ़ाया. वर्तमान में, यह फसल पारंपरिक फसलों से पूरी तरह अलग हो गई है. अब यह कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा देने लगी है.

हर साल होती लाखों की कमाई

लाहू चव्हाण इस फसल से हर साल दो से 2.5 लाख रुपए कमा रहे हैं. यह फसल 75 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है. साल 2023 में कम बारिश के बावजूद इस फसल ने लाहू का भरपूर साथ दिया. आज इस फसल की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है. लाहू के अलावा क्षेत्र के किसान इसे फायदे का सौदा मानने लगे हैं. लाहू की मानें तो इस फसल का मूलमंत्र ही यह है कि यह कम जगह में और कम समय में बेहतरीन उत्पादन देती है.

कहां-कहां होती राजमा की खेती

भारत में राजमा की खेती कई राज्यों में होती है जिनमें महाराष्‍ट्र, जम्मू-कश्मीर और कर्नाटक शामिल हैं. यह एक पौष्टिक फसल है जो प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होती है. हिमालयी क्षेत्रों की तलहटी में इन्हें मुख्य तौर पर खरीफ की फसल के रूप में उगाया जाता है. कुछ किसान इन्‍हें आलू या मक्का के साथ भी उगाते हैं. वसंत ऋतु के लिए राजमा की खेती का सबसे अच्छा समय फरवरी-मार्च है और खरीफ मौसम के लिए इसे मई-जून महीने में बोया जाता है. पंजाब में कुछ किसान जनवरी के आखिरी सप्ताह में भी राजमा की बुवाई करते हैं.

Published: 10 Mar, 2025 | 04:15 PM

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