खरीफ सीजन 2025 की शुरुआत इस बार शानदार मानी जा रही है. इस सीजन किसानों ने चावल और मूंगफली जैसी फसलों की बुवाई में जबरदस्त रुचि दिखाई है. सरकार की योजनाएं, समय पर मानसून और तकनीकी मदद ने देश के खेतों में एक नई रफ्तार भर दी है. हालांकि, इस रफ्तार के बीच कुछ फसलें ऐसी भी रहीं, जिनकी बुवाई में गिरावट दर्ज की गई जैसे कपास और रागी.
चावल-मूंगफली बनी किसानों की पहली पसंद
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस खरीफ में अब तक कुल 262.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें बोई जा चुकी हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 26.71 लाख हेक्टेयर ज्यादा है. इसका सबसे बड़ा हिस्सा चावल की खेती से जुड़ा है, जिसमें अकेले 11.24 लाख हेक्टेयर की बढ़त हुई है. यह दर्शाता है कि किसान इस मुख्य खाद्यान्न फसल को लेकर कितने आश्वस्त हैं.
मूंगफली ने भी इस बार बाजी मारी है. इसकी बुवाई में 7.65 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है. साथ ही मूंग दाल (4.28 लाख हे.), बाजरा (4.36 लाख हे.), और मक्का (2.34 लाख हे.) जैसे फसलें भी किसानों की प्राथमिकता में रहीं.
तिलहन फसलों में उम्मीद से ज्यादा उछाल
तिलहन फसलें इस बार मजबूती से उभरी हैं. पूरे तिलहन समूह में कुल 8.17 लाख हेक्टेयर की बढ़त देखी गई है, जिसमें सबसे ज्यादा योगदान मूंगफली और सोयाबीन का रहा है. सूरजमुखी, तिल और नाइजर जैसी फसलों में भी मामूली लेकिन स्थिर बुवाई हुई है.
किन फसलों को हुआ नुकसान?
जहां एक ओर कुछ फसलें बढ़त में रहीं, वहीं कुछ को झटका भी लगा. कपास की बुवाई में 5.31 लाख हेक्टेयर की सबसे बड़ी गिरावट सामने आई है. यह गिरावट किसानों की बदलती प्राथमिकताओं और जलवायु अस्थिरता का संकेत देती है. इसके अलावा रागी (-0.83 लाख हे.), छोटे दाने वाले अनाज (-0.29 लाख हे.), अरहर (-0.32 लाख हे.) और जूट-मेस्टा (-0.15 लाख हे.) जैसे फसल क्षेत्रों में भी हल्की गिरावट दर्ज की गई है.
आंकड़ों की जुबानी खरीफ 2025
फसल | 2025 बुवाई (लाख हे.) | 2024 बुवाई (लाख हे.) |
वृद्धि/कमी (लाख हे.)
|
चावल | 35.02 | 23.78 | 11.24 |
मूंग दाल | 8.58 | 4.3 | 4.28 |
मूंगफली | 15.79 | 8.14 | 7.65 |
बाजरा | 14.76 | 10.4 | 4.36 |
मक्का | 23.69 | 21.35 | 2.34 |
कपास | 54.66 | 59.97 | -5.31 |
रागी | 0.08 | 0.91 | -0.83 |
अरहर | 8.35 | 8.67 | -0.32 |
किसानों की सोच में बदलाव?
इस बार के आंकड़े बताते हैं कि किसान अब अधिक लाभदायक और मानसून-उपयुक्त फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. चावल, मूंगफली और तिलहन फसलें इसमें प्रमुख हैं. वहीं कपास जैसी जोखिमभरी फसल से धीरे-धीरे दूरी बन रही है.