2 सालों से नहीं बढ़ा मनरेगा बजट, संसदीय समिति ने उठाए सवाल, तो सरकार ने दी सफाई

संसदीय समिति ने सरकार से कहा है कि मनरेगा का बजट फिर से देखना चाहिए और जरूरत पड़े तो इसे बढ़ाया जाए. अभी जो 86,000 करोड़ रुपये का बजट है, वह काफी नहीं है.

नई दिल्ली | Updated On: 12 Aug, 2025 | 01:13 PM

मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) देश की सबसे बड़ी ग्रामीण रोजगार योजना है, जो हर साल लाखों ग्रामीणों को रोजगार प्रदान करती है. लेकिन हाल ही में संसद की संसदीय समिति ने इस योजना के बजट पर चिंता जताई है क्योंकि 2023-24 से मनरेगा के बजट में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. इसका मतलब है कि सरकार ने पिछले दो सालों से इस योजना के लिए आवंटित धनराशि को ज्यों का त्यों रखा है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की मांग लगातार बढ़ रही है.

संसदीय समिति की चिंता

इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के अनुसार, ग्रामीण विकास और पंचायती राज से जुड़ी संसदीय समिति ने साफ कहा है कि मनरेगा की सफलता सीधे समय पर और पर्याप्त बजट मिलने पर निर्भर करती है. समिति ने चिंता जताई है कि पिछले दो सालों में बजट में कोई वृद्धि नहीं होने से योजना का प्रभाव कम हो सकता है, खासकर उन ग्रामीण और हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए जिन्हें मनरेगा से रोजगार मिलता है. समिति ने कहा कि बिना बजट बढ़ाए मनरेगा की निर्बाध कार्यवाही मुश्किल होगी.

सरकार का जवाब और समिति की प्रतिक्रिया

सरकार ने बताया कि मनरेगा का बजट मांग के आधार पर वितरित किया जाता है और केंद्र वित्त मंत्रालय के साथ समन्वय करके समय पर धन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है. लेकिन समिति ने इसे एक औपचारिक जवाब माना और कहा कि यह वित्तपोषण की मुख्य समस्या को हल नहीं करता. समिति ने ग्रामीण विकास विभाग और वित्त मंत्रालय के बीच बेहतर समन्वय की तत्काल जरूरत पर भी जोर दिया.

बजट का हाल

वास्तव में 2023-24 में मनरेगा पर लगभग 89,153 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. लेकिन इसके बाद 2024-25 और 2025-26 के लिए बजट को करीब 86,000 करोड़ रुपये पर स्थिर रखा गया है. यह स्थिरता तब हुई है जब ग्रामीण रोजगार की मांग बढ़ रही है, जिससे योजना की प्रभावशीलता पर सवाल उठते हैं.

मनरेगा के बजट की मांग

संसदीय समिति ने सरकार से कहा है कि मनरेगा का बजट फिर से देखना चाहिए और जरूरत पड़े तो इसे बढ़ाया जाए. अभी जो 86,000 करोड़ रुपये का बजट है, वह काफी नहीं है. खासकर गांवों में काम की मांग बढ़ रही है और इस बजट में वे सभी लोगों को रोजगार देना मुश्किल हो जाएगा.

अगर बजट बढ़ाया नहीं गया, तो गांवों में लोगों को काम नहीं मिलेगा. इससे उनकी जिंदगी पर बुरा असर पड़ेगा. गरीबी बढ़ेगी, लोग काम की तलाश में शहरों की ओर पलायन करेंगे, और कई समस्याएं होंगी. साथ ही, मनरेगा के तहत जो सड़क, पानी, और खेती के काम होते हैं, वे भी सही ढंग से नहीं हो पाएंगे.

समिति ने कहा है कि विभाग और वित्त मंत्रालय को मिलकर काम करना चाहिए ताकि समय पर पर्याप्त पैसा मिल सके. बजट को मांग के हिसाब से तय किया जाना चाहिए ताकि ग्रामीण इलाकों में रोजगार बढ़े और विकास हो. इसलिए, मनरेगा के बजट को बढ़ाना बहुत जरूरी है ताकि गांवों के लोग खुशहाल बन सकें और उनका विकास हो सके.

Published: 12 Aug, 2025 | 01:12 PM