गुजरात के मसालों की दुनियाभर में धूम, चीन-बांग्लादेश बने सबसे बड़े ग्राहक

वित्त वर्ष 2024-25 में इस मंडी से जीरा, इसबगोल और सौंफ जैसी मसालों की किस्मों का कुल 3,995 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया. यह आंकड़ा न केवल किसानों की मेहनत को दर्शाता है, बल्कि भारत के मसाला उद्योग की वैश्विक पहचान को भी मजबूत करता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 1 Sep, 2025 | 09:07 AM

गुजरात का मेहसाणा जिला मसालों के कारोबार के लिए देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां के उनझा एपीएमसी (कृषि उपज मंडी समिति) को “मसालों का अंतरराष्ट्रीय हब” कहा जाता है. वित्त वर्ष 2024-25 में इस मंडी से जीरा, इसबगोल और सौंफ जैसी मसालों की किस्मों का कुल 3,995 करोड़ रुपये का निर्यात किया गया. यह आंकड़ा न केवल किसानों की मेहनत को दर्शाता है, बल्कि भारत के मसाला उद्योग की वैश्विक पहचान को भी मजबूत करता है.

चीन और बांग्लादेश बने सबसे बड़े खरीदार

गुजरात सरकार के मुताबिक, मेहसाणा से हुए कुल निर्यात में 25 फीसदी हिस्सा चीन और 16 फीसदी हिस्सा बांग्लादेश को गया. इसके अलावा, 10 फीसदी निर्यात संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), 5 फीसदी अमेरिका और 4 फीसदी मोरक्को को किया गया. ये आंकड़े बताते हैं कि भारतीय मसाले न सिर्फ एशिया बल्कि अमेरिका और अफ्रीका तक की रसोई में अपनी खुशबू और स्वाद से जगह बना चुके हैं.

मसाला कारोबार का केंद्र

फरवरी 15 से 10 अप्रैल 2025 के बीच, केवल जीरे की ही 54,410 टन आवक दर्ज की गई, जो पिछले साल की तुलना में 17.5 फीसदी ज्यादा थी. उनझा एपीएमसी को भारत का सबसे बड़ा रेगुलेटेड मार्केट माना जाता है, जहां से जीरा, सौंफ, इसबगोल और सरसों का देशभर और विदेशों में व्यापार होता है. यहां करीब 800 कंपनियां मसालों के निर्यात और व्यापार में सक्रिय हैं.

किसानों के लिए अहम फसल

इन मसालों की खेती शरद ऋतु में बोई जाती है और फरवरी-मार्च में कटाई होती है. पिछले रबी सीजन में गुजरात में जीरा की बुवाई 4.76 लाख हेक्टेयर में हुई, जो राज्य की तीन साल की औसत बुवाई से 25 फीसदी ज्यादा है. इसी तरह सौंफ की खेती 57,000 हेक्टेयर और इसबगोल की खेती 27,000 हेक्टेयर में की गई. राज्य सरकार के कृषि विभाग का मानना है कि इस साल अच्छा मानसून मिला तो मसाला फसलों का उत्पादन और निर्यात और बढ़ेगा.

निर्यात में उतार-चढ़ाव

हालांकि, बीते साल प्रतिकूल मौसम के कारण जीरे का उत्पादन प्रभावित हुआ. इसका असर निर्यात पर भी पड़ा.

  • 2022-23 में निर्यात हुआ था 2,904 करोड़ रुपये
  • 2023-24 में यह बढ़कर हुआ 4,127 करोड़ रुपये (42 फीसदी वृद्धि)
  • 2024-25 में थोड़ा गिरकर रह गया 3,995 रुपये करोड़ पर

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मौसम सामान्य रहा तो आने वाले वर्षों में जीरा और अन्य मसालों का निर्यात एक बार फिर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है.

मसालों से चमकेगी किसानों की किस्मत

मेहसाणा और आसपास के इलाकों के हजारों किसान मसालों की खेती पर निर्भर हैं. इन मसालों की मांग दवाइयों, सौंदर्य प्रसाधनों और खाद्य पदार्थों में लगातार बढ़ रही है. ऐसे में निर्यात के बेहतर अवसर किसानों की आय दोगुनी करने का बड़ा जरिया साबित हो सकते हैं.

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