हाइब्रिड धान पर रोक से किसानों में बढ़ रहा गुस्सा, जानें प्रति एकड़ कितना होगा नुकसान

खरीफ सीजन में धान की बुवाई जल्द शुरू होने वाली है. लेकिन, पंजाब में हाईब्रिड किस्मों की बुवाई पर रोक लगी है. किसानों का कहना है कि पहले पारंपरिक धान किस्मों की बुवाई की गई थी, लेकिन पौधे जल्दी सूख गए थे.

नोएडा | Updated On: 1 May, 2025 | 02:08 PM

पंजाब सरकार ने राज्य में हाइब्रिड धान की खेती पर रोक लगा रखी है. खरीफ सीजन आने वाला है और किसान धान की बुवाई की तैयारियों में जुट रहे हैं. लेकिन, राज्य सरकार के फैसले से उन्हें भारी परेशानी हो रही है. इंडस्ट्री रिपोर्ट में कहा गया है कि इस फैसले से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होगा. जबकि, चावल उत्पादन में गिरावट आने की आशंका जताई गई है. रोक हटाने को लेकर किसानों ने डीसी कार्यालयों में शिकायत दर्ज कराई है.

पंजाब सरकार ने भूजल में कमी की चिंताओं और कथित खराब मिलिंग रिकवरी का हवाला देते हुए बीते 7 अप्रैल को हाइब्रिड चावल की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया है. हालांकि, फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (FSII) ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि हाइब्रिड किस्में अधिक उपज देती हैं, पानी की बचत करती हैं और पराली जलाने में कमी लाती हैं. फेडरेशन ने पंजाब सरकार के फैसले पर हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए कहा है कि खरीफ की बुवाई के मौसम के करीब आने पर किसानों की आय में भारी कमी की चेतावनी दी.

किसान को प्रति एकड़ कितना होगा नुकसान

पीटीआई के अनुसार फेडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (FSII) के चेयरमैन अजय राणा ने कहा कि प्रतिबंध से किसानों की आय में प्रति एकड़ 8,000-10,000 रुपये की कमी आ सकती है. उन्होंने कहा कि हाईब्रिड धान बीजों पर प्रतिबंध लगाकर राज्य सरकार एक छोटे किसान की लगभग एक महीने की आय को प्रभावी रूप से खत्म कर रही है. इस फैसले से आगामी खरीफ सीजन की तैयारियों में जुटे किसानों को गहरा धक्का लगा है.

एफसीआई के मानक पर मिलिंग रिकवरी

चेयरमैन ने कहा कि FSII ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, ICAR के कई जगह कराए गए परीक्षणों और IRRI अनाज क्वालिटी लैब से मिलिंग रिजल्ट पेश किए हैं. जिसके अनुसार हाइब्रिड बीजों ने 70-72.5 फीसदी कुल मिलिंग रिकवरी और 60 फीसदी से अधिक हेड राइस दर्ज किया है. यह FCI मानदंडों से काफी अधिक है. ऐसे में सरकार का कम रिकवरी की बात कहना गलत है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में पंजाब के अधिकारियों और केंद्रीय कृषि मंत्रालय से संपर्क किया गया है.

संयुक्त किसान मोर्चा का विरोध प्रदर्शन

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने विरोध प्रदर्श किया और पंजाब के मुक्तसर के डिप्टी कमिश्नर अभिजीत कपलिश से मुलाकात की और उन्हें बताया कि राज्य सरकार की ओर से धान की हाईब्रिड किस्मों पर रोक लगाने के फैसले से किसान निराश हैं. किसानों ने कहा कि हाइब्रिड धान ही एकमात्र व्यवहार्य फसल है, क्योंकि कपास इस क्षेत्र से गायब हो गया है. किसानों ने मांग की कि जलभराव प्रभावित क्षेत्रों से मिट्टी और पानी के नमूने राज्य सरकार को भेजे जाएं और हाइब्रिड धान की खेती के लिए छूट दी जाए.

15 मई से शुरू होनी है धान की बुवाई

खरीफ सीजन में धान की बुवाई का मौसम आ रहा है. किसानों का कहना है कि पहले पारंपरिक धान किस्मों की बुवाई की गई थी, लेकिन पौधे जल्दी सूख गए थे. बता दें कि राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार मुक्तसर, फरीदकोट, फिरोजपुर, बठिंडा और फाजिल्का जिलों में पारंपरिक तरीके से धान की बुवाई 1 जून से शुरू होगी. हालांकि, राज्य भर में चावल की सीधी बुवाई (डीएसआर) 15 मई से शुरू होगी.

Published: 1 May, 2025 | 02:05 PM