लाल मिर्च की खेती से बदल सकती है किसानों की किस्मत, जानें आसान और लाभकारी तरीका
लाल मिर्च भारतीय रसोई की आत्मा कही जा सकती है. हर घर के मसालों में इसका इस्तेमाल होता है और इसके तीखे स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ भी अपार हैं. यही कारण है कि आज के समय में लाल मिर्च की खेती किसानों के लिए एक आकर्षक व्यवसाय बन गई है.
Farming Tips: लाल मिर्च भारतीय रसोई की आत्मा कही जा सकती है. हर घर के मसालों में इसका इस्तेमाल होता है और इसके तीखे स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ भी अपार हैं. यही कारण है कि आज के समय में लाल मिर्च की खेती किसानों के लिए एक आकर्षक व्यवसाय बन गई है. कम लागत में इस फसल से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है, बशर्ते किसानों ने इसे सही तरीके और विज्ञान के अनुसार उगाया जाए.
उपयुक्त जलवायु और मिट्टी
लाल मिर्च की खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है. यह फसल अत्यधिक नमी और जलभराव सहन नहीं कर सकती. इसलिए ऐसे क्षेत्र जहां पानी की निकासी सही ढंग से हो, वहां मिर्च की खेती लाभकारी रहती है. आदर्श तापमान 20°C से 30°C होना चाहिए. मिट्टी की बात करें तो दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है. मिट्टी में पर्याप्त जैविक तत्व और सही pH (6.5–7.5) होना जरूरी है.
खेत की तैयारी और प्रमुख किस्में
खेत की अच्छी तैयारी के लिए 2–3 बार जोताई करनी चाहिए और 20–25 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद मिलानी चाहिए. खेत को समतल करके मेड़ और नाली की व्यवस्था करना फसल के लिए फायदेमंद है. उन्नत किस्मों में एन.आर.सी. 47, अंद्रा लाल, काशी अंमोल और पुषा ज्वाला प्रमुख हैं, जो उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली हैं.
बुवाई और रोपाई की विधि
बुवाई का उपयुक्त समय जून-जुलाई माना जाता है. कुछ क्षेत्रों में जनवरी-फरवरी में नर्सरी तैयार करके रोपाई की जाती है. बीज की मात्रा 1 से 1.5 किलो प्रति हेक्टेयर और रोपाई की दूरी कतार से कतार 60 सेमी तथा पौधे से पौधे 45 सेमी होती है.
सिंचाई, खाद और रोग नियंत्रण
अंकुरण के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें और 7–10 दिन के अंतराल पर पानी दें. फूल आने और फल बनने के समय विशेष ध्यान रखें. उर्वरक प्रबंधन में नाइट्रोजन 60 किग्रा, फॉस्फोरस 40 किग्रा और पोटाश 40 किग्रा प्रति हेक्टेयर देना चाहिए.
रोगों में झुलसा रोग, पाउडरी मिल्ड्यू और कीटों में थ्रिप्स तथा एफिड्स का खतरा रहता है. नीम आधारित जैविक कीटनाशक का छिड़काव और रोगग्रस्त पौधों को खेत से हटाना आवश्यक है.
कटाई, उत्पादन और मुनाफा
लाल मिर्च की फसल 90–120 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार होती है. हरी मिर्च की उपज 100–120 क्विंटल और सूखी लाल मिर्च 20–25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो सकती है. बाजार में इसकी कीमत किस्म और गुणवत्ता के अनुसार 100–250 रुपये प्रति किलो तक हो सकती है. 1 हेक्टेयर में उन्नत किस्म की खेती करने पर किसान की कुल आमदनी लगभग 2–3 लाख रुपये हो सकती है, जबकि खर्च लगभग 60,000–80,000 रुपये होता है, यानी लगभग 1.5–2 लाख रुपये तक का मुनाफा.