गेहूं और चावल के उत्पादन में देश आत्मनिर्भर, 11 साल में बढ़कर 1175 लाख टन हुई पैदावार

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत गेहूं और चावल में आत्मनिर्भर है, लेकिन खेती को लाभकारी बनाने के लिए लागत कम करना जरूरी है. उन्होंने वैज्ञानिकों से 'लैब से लैंड' तक रिसर्च पहुंचाने का आग्रह किया.

नोएडा | Updated On: 26 Aug, 2025 | 08:11 PM

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भारत आज गेहूं और चावल के उत्पादन में आत्मनिर्भर है, लेकिन सिर्फ उत्पादन बढ़ाना काफी नहीं है, खेती को फायदेमंद बनाने के लिए लागत भी कम करनी होगी. कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पिछले 10 से 11 सालों में देश में गेहूं उत्पादन 865 लाख टन से बढ़कर 1175 लाख टन हो गया है, जो करीब 44 फीसदी की बढ़ोतरी है. उन्होंने कहा कि ये बड़ी उपलब्धि है, लेकिन अब हमें प्रति हेक्टेयर उत्पादन को दुनिया के औसत स्तर तक ले जाना होगा.

उन्होंने ये भी कहा कि अब गेहूं और चावल का उत्पादन पर्याप्त है, इसलिए हमें दलहन और तिलहन की पैदावार बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि आयात पर हमारी निर्भरता कम हो सके. मंत्री ने कहा कि जौ जैसे पारंपरिक अनाज का औषधीय महत्व भी है और इसे बढ़ावा देना जरूरी है. इस दौरान शिवराज सिंह चौहान ने वैज्ञानिकों से अपील की कि वे ऐसा गेहूं विकसित करें जिसमें पोषक तत्व ज्यादा हों. साथ ही उन्होंने कहा कि खादों का गलत इस्तेमाल मिट्टी की सेहत खराब कर रहा है. इसे रोकने के लिए भी काम करना होगा.

नई तकनीकों के इस्तेमाल के लिए ट्रेनिंग

उन्होंने कहा कि पराली जलाने की समस्या का समाधान जरूरी है और किसानों को नई तकनीकों के इस्तेमाल के लिए ट्रेनिंग देना भी बहुत जरूरी है. चौहान ने बताया कि केंद्र सरकार नकली खाद और कीटनाशकों से किसानों को बचाने के लिए सख्त कदम उठा रही है. जिन कंपनियों के उत्पादों से फसल को नुकसान पहुंचा है, उनके लाइसेंस रद्द किए जा रहे हैं और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है.

छोटे और सीमांत किसानों के लिए फायदे का सौदा

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि छोटे और सीमांत किसानों के लिए खेती को फायदे का सौदा तभी बनाया जा सकता है, जब वे खेती के साथ-साथ पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन और बागवानी जैसे काम भी करें. इसे एकीकृत खेती कहा जाता है. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे रोजमर्रा की जिंदगी में देशी सामानों का इस्तेमाल करें, ताकि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो सके.

डॉ. एमएस स्वामीनाथन को किया याद

दरअसल, वे ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 64वीं अखिल भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान कार्यकर्ता गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कृषि वैज्ञानिक रहे डॉ. एमएस स्वामीनाथन को उनके शताब्दी वर्ष पर श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने में उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि किसानों की मेहनत और वैज्ञानिकों की रिसर्च की बदौलत आज भारत दुनिया में एक मजबूत कृषि राष्ट्र बनकर उभरा है.

Published: 26 Aug, 2025 | 08:05 PM

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