शिवराज सिंह चौहान ने न सिर्फ चाय बागानों की सुंदरता का आनंद लिया, बल्कि वहां काम कर रहीं महिलाओं के बीच पहुंचकर उनके कार्य को करीब से देखा और समझा इसके साथ ही उन्होंने खुद भी कुछ समय तक चाय की पत्तियों को तोड़ने का काम किया और अनुभव किया कि चाय की हर एक पत्ती कितने धैर्य, और परिश्रम से तैयार की जाती है.
कृषि मंत्री ने कहा कि 'इन बहनों की मुस्कान, उनका समर्पण और जीवन की सादगी हमें यह सिखाती है कि मेहनत ही असली पूंजी है. चाय की पत्तियां तोड़ना जितना सरल दिखता है, उतना ही कठिन है. इसमें धूप, बारिश और मौसम की मार को सहते हुए काम करना पड़ता है. लेकिन, इन महिलाओं की मुस्कान और ऊर्जा देखकर समझ आता है कि जब श्रम को सम्मान मिलता है, तभी विकास को सही दिशा मिलती है.
चाय बागान में काम कर रहीं महिलाओं के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि वे इनके जीवन की स्थिरता और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे. शिवराज सिंह ने कहा कि इन श्रमिक बहनों की भूमिका न केवल चाय के उत्पादन तक सीमित है, बल्कि वे भारत की आर्थिक और सामाजिक मजबूती की भी अहम कड़ी भी हैं.
अकसर जब हम घर या ऑफिस में चाय का प्याला उठाते हैं, तो उसकी खुशबू और स्वाद की तारीफ करते हैं, लेकिन शायद ही हमें अहसास होता है कि उस चाय की हर पत्ती के पीछे कितनी मेहनत छुपी है. शिवराज सिंह चौहान का यह दौरा हमें यही याद दिलाता है कि चाय की खुशबू सिर्फ बागानों की मिट्टी से नहीं, बल्कि उन हाथों से आती है जो उसे दिन-रात सींचते हैं.
इस दौरे के जरिए उन्होंने एक बड़ा संदेश दिया कि अगर हमें देश को आगे बढ़ाना है, तो हमें हर उस हाथ को सम्मान देना होगा जो विकास की नींव रखता है चाय बागानों की महिलाएं इस बात की मिसाल हैं कि परिश्रम, लगन और आत्मविश्वास से कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है.