‘हरा सोना’ से बदलेगी किस्मत, खाली पड़ी जमीन में करें बांस की खेती.. लाखों में बनेगा मुनाफा
किसान अब अपनी बंजर व खाली पड़ी जमीन पर कम लागत में अच्छी कमाई कर रहें है. उनकी यही चाह आमदनी के नए-नए रास्ते खोल रही है. इसी कड़ी में किसानों के लिए बांस की खेती एक लाभकारी विकल्प बनकर सामने आई है. आइये जानते हैं बांस की खेती का सही तरीका.
Bamboo Farming Tips: कम निवेश में अच्छी कमाई की चाह रखने वाले किसानों के लिए बांस की खेती एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रही है. बांस की खेती न सिर्फ कम लागत में शुरू की जा सकती है, बल्कि यह बंजर और खाली पड़ी जमीन पर भी आसानी से की जा सकती है. बांस 3 से 4 साल में तैयार हो जाता है और इसके बाद कई वर्षों तक लगातार आमदनी देता रहता है. किसान इसे अपने खेत की खाली जगह पर लगाकर अच्छी आमदनी कर रहें हैं .
किसान अब अपनी बंजर व खाली पड़ी जमीन पर कम लागत में अच्छी कमाई कर रहें है. उनकी यही चाह आमदनी के नए-नए रास्ते खोल रही है. इसी कड़ी में किसानों के लिए बांस की खेती एक लाभकारी विकल्प बनकर सामने आई है. बांस की खेती कम लागत में शुरू की जा सकती है और यह बंजर व खाली पड़ी जमीन पर भी आसानी से हो जाती है. राजस्थान के किसान खेत की खाली जगह और मेड़ पर बांस लगाकर इसकी सफलता का उदाहरण पेश किया है.
खेत की मेड़ और खाली जमीन पर खेती
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किसान बताते हैं कि उन्होंने खेत की वह जमीन चुनी, जहां सामान्य रूप से फसलें नहीं उगाई जा सकती. खेत की मेड़ और खाली हिस्सों में बांस के पौधे लगाने से जमीन का बेहतर उपयोग हुआ और अतिरिक्त आमदनी का रास्ता खुला. बांस एक बार लगाने के बाद 3 से 4 साल में कटाई के लिए तैयार हो जाता है और इसके बाद कई वर्षों तक आमदनी का साधन बन जाता है.
कम लागत में बड़ा मुनाफा
बांस की खेती पर शुरुआती खर्च ज्यादा नहीं आता है. एक एकड़ जमीन पर बांस लगाने में लगभग 15 से 20 हजार रुपये का खर्च आता है. यही छोटा निवेश 5 साल में बढ़कर 3 से 3.5 लाख रुपये तक की आय दे सकता है. कम लागत और ज्यादा मुनाफे के कारण किसान तेजी से इस खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
बंजर जमीन को बनाता है उपजाऊ
‘हरा सोना’ कहे जाने वाले बांस की खासियत यह है कि यह बंजर जमीन को भी धीरे-धीरे उपजाऊ बना देता है. बांस से गिरने वाली पत्तियां प्राकृतिक खाद का काम करती हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है और अलग से खाद डालने की जरूरत कम हो जाती है.
रोपाई का सही समय
किसान के अनुसार बांस की रोपाई के लिए जुलाई का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है. मानसून के दौरान पौधे जल्दी जड़ पकड़ लेते हैं और अच्छी बढ़वार होती है. रोपाई के बाद ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती. हालांकि, बांस की खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है, बस नमी भरपूर चाहिए होती है.
तेजी से बढ़ने वाला पौधा
बांस के पौधों से निकलने वाला भूमिगत तना, जिसे राइजोम कहा जाता है, बहुत तेजी से विकास करता है. बांस का पौधा मात्र दो महीनों में अपनी पूरी ऊंचाई हासिल कर लेता है. बेहतर ग्रोथ के लिए बारिश के मौसम में पौधों के पास मिट्टी चढ़ानी चाहिए, जिससे जड़ें मजबूत बनी रहें.
कटाई और उपयोग
बांस की कटाई उसके उपयोग पर निर्भर करती है. टोकरी और हल्के कामों के लिए 3 से 4 साल पुराना बांस उपयोग में लिया जाता है. मजबूत निर्माण कार्यों के लिए 5 से 6 साल में बांस तैयार होता है. कटाई के लिए अक्टूबर से दिसंबर का समय सबसे अच्छा माना जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार गर्मी के मौसम में बांस की कटाई नहीं करनी चाहिए. इस समय कटाई करने से पौधे की जड़ें सूखने का खतरा रहता है, जिससे आगे की पैदावार प्रभावित हो सकती है.
कई कामों में होता है इस्तेमाल
बांस का उपयोग फर्नीचर, निर्माण कार्य, टोकरी बनाने और धार्मिक कार्यों में बड़े पैमाने पर किया जाता है. इसकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है, जिससे किसानों को बिक्री में परेशानी नहीं होती.
सही किस्म का चयन जरूरी
बांस की खेती में सफलता पाने के लिए सही किस्म का चयन बहुत जरूरी है. देश में बांस की लगभग 136 प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन खेती के लिए मुख्य रूप से 10 किस्मों का ही ज्यादा उपयोग किया जाता है. रोपाई करते समय पौधों के बीच 3 से 4 मीटर की दूरी रखना जरूरी होता है, ताकि पौधों की बढ़वार में कोई रुकावट न आए.