देश में प्राकृतिक खेती (Natural Farming) को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार बड़े स्तर पर तैयारी कर रही है और लगातार इस कोशिश में रहती है कि ज्यादा से ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं. लेकिन सरकार की सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है वो है किसानों का प्राकतिक खेती को छोड़कर पारंपरिक खेती की तरफ लौट जाना. इसका कारण है स्थायी आमदनी न होना. इसी के चलते केंद्र सरकार ने फैसला लिया है कि नीति आयोग इस महीने यानी अक्टूबर में एक कार्यशाला का आयोजन करेगा ताकि प्राकृतिक खेती को स्थायी कृषि मॉडल के रूप में लोकप्रिय बनाया जा सके.
किसान क्यों छोड़ रहे प्राकृतिक खेती
कृषि विशेषज्ञों का कहना कि सरकार की ओर से किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं चालाई जा रही हैं, जिनके तहत उन्हें वित्तीय सहायता देने का भी प्रावधान है. लेकिन किसान इन योजनाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें इन योजनाओं के बारे में जानकारी नहीं है. बता दें कि सरकार की परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (NMNF) के तहत किसानों को शुरुआती दो सालों तक प्रति एकड़ की दर से 4 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मिलती है. इसके अलावा उन्हें PGS-India सर्टिफिकेशन में भी मदद दी जाती है ताकि वे अपनी उपज को प्रीमियम दामों पर बेच सकें.
विशेषज्ञों का मानना है कि किसानों के साथ-साथ उपभोकताओं को भी न तो PGS सर्टिफिकेशन के बारे में जानकारी है और न ही वे जैविक उत्पादों के लिए ज्यादा भुगतान करने को तैयार हैं. यही कारण है कि किसान धीरे-धारे प्राकृतिक खेती से अपनी रुचि खोते जा रहे हैं.
क्या है सरकार की रणनीति
मीडिया रिपोर्टेस के अनुसार, नीति आयोग अब रबी सीजन के दौरान कुछ प्रमुख राज्यों में प्राकृतिक खेती को विस्तार देने की योजना बना रहा है. बता दें कि, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया था कि पीएम मोदी अक्टूबर में आयोजित की जाने वाली कार्याशाला का उद्घाटन करेंगे.
क्या है PGS-India योजना
PGS-India केंद्र सरकार की एक ऐसी योजना है जो किसानों को अपनी उपज को जैविक घोषित करने में मदद करती है. लेकिन ये योजना केवल घरेलू बाजार तक ही सीमित है. अगर किसान अपने जैविक उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाना चाहते हैं तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए किसानों को एपीडा (APEDA) के National Programme for Organic Production (NPOP) से सर्टिफिकेट लेना पड़ता है.