एमपी में दूध और पशुपालन से बढ़ेगी किसानों की कमाई, सरकार ने बनाई नई योजना

मध्यप्रदेश सरकार पशुपालन और दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है. किसानों को अनुदान, सब्सिडी, गोशालाएं और प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. लक्ष्य है कि एमपी को 2028 तक मिल्क कैपिटल बनाया जाए.

Kisan India
नोएडा | Published: 28 Aug, 2025 | 09:20 PM

मध्यप्रदेश की सरकार अब सिर्फ खेती तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पशुपालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देकर किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रही है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का साफ कहना है कि आने वाले समय में एमपी को देश की ‘मिल्क कैपिटल’ बनाना है और इस दिशा में कई बड़े कदम उठाए जा रहे हैं. सरकार की ये योजनाएं ना सिर्फ किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करेंगी, बल्कि गांवों को आत्मनिर्भर बनाने में भी अहम भूमिका निभाएंगी.

दूध उत्पादन से किसानों की आमदनी बढ़ेगी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एमपी सरकार का प्लान है कि राज्य में दूध उत्पादन को तेजी से बढ़ाया जाए. फिलहाल राज्य देश के कुल दूध उत्पादन का करीब 9 फीसदी हिस्सा देता है, जिसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है. इससे किसानों को सीधा फायदा मिलेगा क्योंकि दूध की मांग लगातार बनी रहती है. सरकार चाहती है कि किसान सिर्फ खेती पर निर्भर न रहें, बल्कि मवेशीपालन से भी अच्छी कमाई करें. मवेशियों की देखभाल के लिए सरकार ने हर माह मिलने वाली राशि को 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये कर दिया है, जिससे गायों को अच्छा चारा और देखभाल मिल सके.

हर गांव में बनेगी दूध समितियां और वृंदावन ग्राम

सरकार ने ‘हर घर गोकुल’ लक्ष्य के तहत 946 नई दुग्ध सहकारी समितियां बनाने का काम शुरू किया है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री वृंदावन ग्राम योजना के तहत हर जनपद में एक मॉडल गांव विकसित किया जा रहा है, जहां गांव पूरी तरह आत्मनिर्भर होगा और दूध उत्पादन से जुड़े सभी संसाधन मौजूद रहेंगे. इस योजना का मकसद है कि गांव के लोग वहीं पर दूध का उत्पादन, प्रोसेसिंग और बिक्री कर सकें, जिससे उन्हें शहरों पर निर्भर न रहना पड़े और खर्च भी कम हो.

सांची ब्रांड को मिलेगा बढ़ावा, होगा नेशनल लेवल पर प्रचार

राज्य सरकार ने नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के साथ करार किया है ताकि एमपी का मशहूर सांची ब्रांड और ज्यादा लोकप्रिय हो सके. इस समझौते से न सिर्फ दूध उत्पादन बढ़ेगा बल्कि ब्रांडिंग, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग में भी सुधार आएगा. सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक राज्य के 26 हजार गांवों को डेयरी नेटवर्क से जोड़ दिया जाए. इससे हर दिन करीब 52 लाख किलो दूध का संकलन संभव हो सकेगा. इसका इस्तेमाल आधुनिक डेयरी प्लांट में करके बढ़िया क्वालिटी के प्रोडक्ट तैयार किए जाएंगे, जो देशभर में बेचे जा सकेंगे.

कामधेनु योजना और गोशालाओं पर भी बड़ा फोकस

एमपी सरकार ने डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना शुरू की है, जिसके तहत 25 दुधारू पशुओं की यूनिट दी जाएगी. इसकी कीमत करीब 36 रुपये से 42 लाख रुपये होगी, जिसमें अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को 33 फीसदी और अन्य को 25 प्रतिशत अनुदान मिलेगा. इसके अलावा स्वावलंबी गो-शाला नीति 2025 के तहत नगर निगमों में बड़ी-बड़ी गोशालाएं बनाई जा रही हैं. इनमें 5,000 से ज्यादा गोवंश को रखा जा सकेगा. भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन और जबलपुर में ये गोशालाएं बनाई जा रही हैं ताकि शहरी क्षेत्रों में घूमने वाले बेसहारा मवेशियों को आश्रय मिल सके.

एमपी बना गो-संरक्षण में अग्रणी राज्य

गो-संरक्षण और गो-संवर्धन के मामले में एमपी देश का अग्रणी राज्य बन गया है. सरकार की मुख्यमंत्री दुधारू पशु योजना, कामधेनु निवास योजना, मुख्यमंत्री डेयरी प्लस प्रोग्राम और नस्ल सुधार योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ा बदलाव लाया है. इन योजनाओं से न केवल गोवंश की सही देखभाल हो रही है, बल्कि दूध उत्पादन में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है.

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Published: 28 Aug, 2025 | 09:20 PM

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