FAO रिपोर्ट: दुनिया भर में सस्ता हुआ चावल, कीमतें 5 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचीं
दुनिया भर में चावल का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, और इसका असर सीधा बाजार पर दिख रहा है, अब चावल की कीमतें पांच साल के न्यूनतम स्तर पर हैं.
एक वक्त था जब चावल की कीमतें आसमान छू रही थीं, खासकर भारत के निर्यात प्रतिबंध के कारण. लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं. मौसम की मेहरबानी और अच्छी फसल ने चावल बाजार को ठंडा कर दिया है. दुनिया भर में चावल का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, और इसका असर सीधा बाजार पर दिख रहा है, अब चावल की कीमतें पांच साल के न्यूनतम स्तर पर हैं.
क्यों टूटा चावल का बाजार?
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र की संस्था FAO (खाद्य और कृषि संगठन) ने बताया है कि उनका ऑल राइस प्राइस इंडेक्स 22 फीसदी गिरकर 105.5 अंक पर पहुंच गया है. खासकर थाईलैंड के 5 फीसदी टूटे सफेद चावल की कीमत अब 400 डॉलर प्रति टन से नीचे आ गई है. इसका मतलब है कि बाजार में चावल की सप्लाई तो भरपूर है लेकिन मांग कमजोर बनी हुई है.
भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और वियतनाम में भरपूर फसल
FAO और अमेरिका के कृषि विभाग (USDA) ने 2025-26 सीजन में चावल उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान जताया है. भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और वियतनाम में अनुकूल मौसम और समय पर मानसून के कारण फसलें बेहतर हुई हैं. सिर्फ भारत की बात करें तो इस बार धान की बुआई में अब तक 7.4 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है और मानसून भी आठ दिन पहले पहुंच गया था.
थोक बाजार में कीमतें नीचे, खरीदार कम
थाईलैंड राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (TREA) के मुताबिक, वहां का चावल अब सिर्फ 395 डॉलर प्रति टन में बिक रहा है. भारत, पाकिस्तान और वियतनाम के चावल की पेशकश भी 380-390 डॉलर प्रति टन के बीच चल रही है. दिल्ली के अनाज व्यापारी एस. चंद्रशेखरन कहते हैं, “अफ्रीकी देशों के पास पहले से ही स्टॉक भरा पड़ा है, जिससे फिलहाल मांग नहीं आ रही है.”
अमेरिका और बाकी दुनिया में भी स्टॉक बढ़ा
BMI की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में भी चावल उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 19 फीसदी ज्यादा है. वहीं घरेलू भंडारण 24 फीसदी अधिक होने का अनुमान है. यानी मांग कम और स्टॉक ज्यादा, यही वजह है कि बाजार मंदी के दौर से गुजर रहा है.
आगे क्या होगा? क्या और सस्ता होगा चावल?
BMI ने अनुमान लगाया है कि 2025 में चावल की कीमतें 13.9 डॉलर प्रति 100 पाउंड (cwt) रह सकती हैं, जो पहले से कम है. हालांकि, अल्पकालिक तेजी की थोड़ी संभावना है, क्योंकि ट्रेडर्स अब अपनी शॉर्ट पोजिशन खत्म कर सकते हैं.
भारत के फैसलों का भी असर
भारत ने पिछले साल चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंधों में ढील दी थी, गैर-बासमती पर टैक्स हटाया गया, बासमती पर न्यूनतम मूल्य हटा और टूटे चावल के निर्यात पर लगी रोक भी खत्म कर दी गई. अब जब मौसम सामान्य है, तो भारत से सप्लाई भी पूरी रफ्तार में है.