अल्फांसो आम पर हीटवेव की मार, कोंकण के किसान फसल न होने से परेशान

कोंकण में अल्‍फांसो आम की खेती करने वाले किसान इन दिनों बढ़ती गर्मी से खासे परेशान हैं. आम के पौधे के लिए सर्दी एक महत्वपूर्ण मौसम है. सर्दियों के महीनों में ही पौधे फूलना शुरू हो जाते हैं.

Noida | Updated On: 16 Mar, 2025 | 02:53 PM

कोंकण में अल्‍फांसो आम की खेती करने वाले किसान इन दिनों खासे परेशान हैं. यहां पर सर्दी की विदाई हो चुकी है और गर्मी बढ़ती जा रही है. इस साल की शुरुआत से ही यहां पर गर्म हवाएं चल रही हैं. इसका असर अल्‍फांसो आम की खेती पर भी पड़ा है. कोंकण महाराष्‍ट्र का वह क्षेत्र है जहां पर अल्‍फांसो आम की खेती सबसे ज्‍यादा होती है. गर्मी की वजह से यहां पर आम की खेती करने चाले अब फसल को लेकर खासे चिंतित हैं.

शायद ही आ पाएगा फल !

इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट ने अल्‍फांसो आम की खेती करने वाले किसान मंदार खेदकर के हवाले से लिखा है कि उनके आम के पेड़ों में दिसंबर के बाद से कोई फूल या फल नहीं लगे हैं. रत्‍नागिरी जिले के संगमेश्‍वर और रत्‍नागिरी तालुका में अल्‍फांसो आम के तीन बाग हैं. उनका कहना है कि मौजूदा फसल का मौसम अप्रैल की शुरुआत में खत्‍म हो जाएगा. वह इस बात से दुखी हैं कि उनके पेड़ों पर शायद ही अब फल लग पाएंगे.

75 फीसदी की गिरावट

मंदार की मानें तो इस साल उनकी उपज में 75 फीसदी की गिरावट आई है. उनका कहना है कि मौजूदा कीमत पर भी, जो पिछले साल की तुलना में दोगुनी है, इससे उत्पादन लागत भी पूरी नहीं हो पाएगी. खेदकर को अब इस बात का भी भरोसा नहीं है यकीन नहीं है कि वे अपने अल्फांसो आमों को बेचने के लिए पुणे के बाजार में जाएंगे या नहीं. खादेकर ने कहा, ‘पुणे के बाजार में मौजूदा दर चार दर्जन आमों के एक डिब्बे की कीमत करीब 6,000-7,000 रुपये है. इस दर पर ग्राहक मिलना मुश्किल है. लेकिन असली बात यह है कि मेरे पास ट्रांसपोर्ट और बाकी खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा नहीं है.’

सर्दियों के न होने से पड़ा असर

कोंकण हापुस अंबा उत्पादक सहकारी संस्था के अध्यक्ष विवेक भिड़े ने अखबार के साथ बातचीत में कहा कि इस साल उपभोक्ताओं को औसत उत्पादन का केवल 30 प्रतिशत ही उपलब्ध हो सकता है. विवेक इसके लिए सर्दियों की अनुपस्थिति को जिम्मेदार ठहराते हैं. विवेक जिस संगठन के अध्‍यक्ष हैं, वह इस क्षेत्र के अलफांसो या हापुस उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करता है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार आम के पौधे के लिए सर्दी एक महत्वपूर्ण मौसम है. सर्दियों के महीनों में ही पौधे फूलना शुरू हो जाते हैं. इसके बाद 60 दिनों के अंदर फल बनने शुरू हो जाते हैं.

मार्च से ही हीटवेव जारी

ट्रीटमेंट के आधार पर, जिसमें उर्वरकों और वृद्धि को बढ़ावा देने वाले पदार्थों का प्रयोग शामिल है, आम के पेड़ दो या तीन बार फूल सकते हैं. इससे मई तक फल बनना सुनिश्चित होता है. लेकिन, साल की शुरुआत से ही, महाराष्‍ट्र के कोंकण क्षेत्र (सिंधुदुर्ग, रत्‍नागिरी और रायगढ़ जिलों समेत) में कई बार हीटवेव देखी गई है. इसमें औसत दिन का तापमान 39 डिग्री से ऊपर चला गया है. मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मार्च के पहले हफ्ते से इस क्षेत्र के लिए कई बार हीटवेव की चेतावनी जारी की है.

समय से पहले झड़ रहे फल

हीटवेव की शुरुआत से पहले ही किसानों ने सर्दी न होने की शिकायत की थी. किसानों का कहना है कि इन सबका नतीजा यह हुआ है कि फलों का गिरना बहुत ज्‍यादा हो गया है या समय से पहले ही झड़ना शुरू हो गया है. भिडे के अनुसार, नवंबर-दिसंबर के बाद ज्‍यादातर बागों में ज्‍यादा फूल नहीं आए हैं. भिड़े कहते हैं, ‘मार्च के बाद से बाजारों में आम की अच्छी सप्‍लाई के लिए, हमें फरवरी-मार्च में फूल आने चाहिए. आम तौर पर, मई तक बाजार आमों से भर जाते हैं. कई किसान अपनी उपज जूस और पल्प निर्माताओं को भेजते हैं. इस साल, मुझे ऐसा होता नहीं दिख रहा है.’

आवक पहले से ही धीमी

मुंबई के थोक बाजारों में व्यापारियों का कहना है कि आम की सप्‍लाई सामान्य से कम है. व्यापारी संजय पानसरे कहते हैं कि आम की सप्‍लाई आम तौर पर जनवरी से शुरू होती है और 15 मार्च के बाद मौसम में तेजी आती है. उन्‍होंने कहा कि इस साल, आम की आवक बहुत धीमी है. उन्‍होंने अनुमान लगाया है कि आम का मौसम चार अप्रैल से शुरू होगा और मई के मध्य तक खत्म हो जाएगा. वास्तव में, पूरे मौसम का उत्पादन उसी अवधि तक सीमित हो सकता है.

Published: 16 Mar, 2025 | 01:23 PM