देश की मंडियों में इन दिनों एक अजीब तस्वीर देखने को मिल रही है. रबी और खरीफ की बंपर फसलों के बावजूद, किसानों को अपनी उपज का पूरा दाम नहीं मिल पा रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, गेहूं को छोड़कर ज्यादातर प्रमुख खाद्यान्न फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दाम पर बिक रही हैं. वहीं, खाने के तेलों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. इससे एक तरफ जहां उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है, वहीं किसानों की कमाई पर असर पड़ रहा है.
मंडी में भाव गिरे
आरबीआई के अनुसार, 1 अप्रैल से 19 मई 2025 तक के आंकड़े दिखाते हैं कि चावल, दाल, ज्वार-बाजरा जैसी फसलों के औसत मंडी भाव MSP से कम चल रहे हैं. वजह है बंपर फसल और सरकारी खरीद का सीमित दायरा. सिर्फ गेहूं ऐसा उत्पाद है, जिसका मंडी भाव MSP के आसपास या ऊपर बना हुआ है. राजस्थान और मध्यप्रदेश ने गेहूं किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए MSP पर अतिरिक्त ₹150 और ₹175 प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा की है.
तेलों के दाम में बढ़ोतरी
दूसरी ओर, खाने के तेलों की कीमतें अभी भी ऊपर की ओर जा रही हैं. खासतौर पर सोयाबीन, सूरजमुखी और सरसों के तेल के दामों में बढ़ोतरी देखी गई है. जबकि पाम और मूंगफली तेल की कीमतें थोड़ी कम हुई हैं.
सब्जियों में मिलाजुला रुख
सब्जियों की बात करें तो प्याज के दामों में गिरावट जारी है, वहीं आलू और टमाटर की कीमतों में हल्की बढ़त देखी गई है.
फसलों की अच्छी बुवाई से उम्मीद
रिपोर्ट के अनुसार, इस बार गर्मियों की फसलों की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है. 16 मई तक धान की बुवाई सामान्य से 107.6% और मूंग की बुवाई 108.2% तक पहुंच गई है. कुल गर्मी की फसल रकबा 80.7 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 12% ज्यादा है.
मानसून से उम्मीदें
इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून समय से पहले आने की संभावना है और सामान्य से ज्यादा बारिश (105% LPA) का अनुमान है. इससे आने वाले खरीफ सीजन के लिए हालात और भी बेहतर हो सकते हैं.