सरकार अब गांवों में काम करने वाले क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) को एक नई दिशा देने जा रही है. हाल ही में “एक राज्य, एक आरआरबी” नीति के तहत कई छोटे-छोटे ग्रामीण बैंकों को मिलाकर बड़े बैंक बनाए गए हैं. अब सरकार की योजना है कि इनमें से कम से कम 5 बैंक साल 2027 तक शेयर बाजार में लिस्ट किए जाएं.
1 मई 2025 से लागू नई नीति के बाद देशभर में अब कुल 28 आरआरबी रह गए हैं, जो 26 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में काम कर रहे हैं. इनकी 22,000 से ज्यादा शाखाएं देश के 700 जिलों तक फैली हुई हैं.
शेयर बाजार में आने से बैंकों को क्या फायदा होगा?
सरकार का मानना है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) को शेयर बाजार में लाने से ये बैंक और ज्यादा मजबूत, आधुनिक और जवाबदेह बनेंगे. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक, सरकार चाहती है कि इन बैंकों को ऐसी विश्वसनीय संस्था के रूप में विकसित किया जाए, जिस पर आम जनता के साथ-साथ निवेशक भी पूरा भरोसा कर सकें.
शेयर बाजार में लिस्ट होने से इन बैंकों को अधिक पूंजी (फंड) जुटाने का मौका मिलेगा, जिससे वे अपने कामकाज को और बेहतर बना सकेंगे. इससे इनकी काम करने की शैली ज्यादा पेशेवर हो जाएगी और आम लोगों व निवेशकों के प्रति जवाबदेही भी बढ़ेगी. कुल मिलाकर, यह कदम आरआरबी को एक मजबूत और भरोसेमंद बैंकिंग विकल्प बनाने की दिशा में अहम साबित हो सकता है.
बैंक कर्मचारियों को मिलेगी खास ट्रेनिंग
सरकार इन बैंकों के कर्मचारियों को सॉफ्ट स्किल्स सिखाने की भी योजना बना रही है. इसका मतलब है कि कर्मचारी अब बेहतर बातचीत, तकनीकी जानकारी और प्रोफेशनल माहौल में काम करने की ट्रेनिंग पाएंगे, जिससे वे नए जमाने के बैंकिंग सिस्टम में और बेहतर काम कर सकें.
शेयर बाजार में आने के लिए ये शर्तें होंगी जरूरी
हर आरआरबी को सीधे शेयर बाजार में नहीं लाया जाएगा. इसके लिए कुछ जरूरी मानदंड तय किए गए हैं:
- पिछले 3 साल में बैंक की कुल संपत्ति 300 करोड़ रुपये से कम न हो.
- लगातार तीन साल तक 9% से ज्यादा पूंजी अनुपात हो.
- बीते 5 सालों में कम से कम 3 साल 15 करोड़ रुपये का प्री-टैक्स मुनाफा हो.
- कम से कम 3 सालों में 10% का इक्विटी रिटर्न मिल रहा हो.
- 5 में से 3 सालों में 0.5% का एसेट रिटर्न हो.
- बैंक आरबीआई की निगरानी सूची (PCA Framework) में नहीं होना चाहिए.
देश की अर्थव्यवस्था में भी होगा फायदा
PwC इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इन बैंकों का कारोबार अब भारत की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) का 5.2% तक पहुंच सकता है, जो पहले 3.7% था. यह दिखाता है कि आरआरबी देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ता योगदान देने लगे हैं.
ये बैंक खास तौर पर ग्रामीण भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाए गए थे. इन्हें 1976 के आरआरबी अधिनियम के तहत शुरू किया गया था और इनमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और प्रायोजक बैंकों की भागीदारी होती है.