Wheat Farming Tips: पहली सिंचाई और सही खाद, जानें गेहूं की बंपर पैदावार का राज

गेहूं की खेती में पहली सिंचाई को सबसे अहम चरण माना जाता है. किसान इसे केवल पानी देने का समय नहीं, बल्कि पूरी फसल की नींव रखने का मौका मानते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, बुवाई के 20 से 25 दिन बाद की गई पहली सिंचाई अगर सही पोषण के साथ हो जाए, तो पैदावार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी संभव है.

नोएडा | Published: 22 Dec, 2025 | 03:49 PM

Wheat crop: गेहूं की खेती में पहली सिंचाई अगर सही समय और संतुलित पोषण के साथ की जाए, तो फसल की जड़ें मजबूत होती हैं और पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है. किसानों के अनुभव और वैज्ञानिक शोध दोनों ही बताते हैं कि पहली सिंचाई को हल्के में लेना भारी नुकसान का कारण बन सकता है. यही वह समय होता है जब पौधों की जड़ें जमीन के अंदर अपनी पकड़ बनाती हैं और पूरी फसल की दिशा तय होती है. इस दौरान की गई छोटी सी लापरवाही से पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है और किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है.

CRI अवस्था में नमी या पोषक तत्व है जरूरी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विशेषज्ञों ने बताया कि बुवाई के लगभग 20–25 दिन बाद गेहूं की फसल क्राउन रूट इनिशिएशन (CRI) अवस्था में पहुंचती है. इस समय पौधे जमीन के नीचे मजबूत जड़ें बनाते हैं और नई शाखाओं (टिलर) की शुरुआत होती है. अगर इस समय में नमी या पोषक तत्वों की कमी रह जाती है, तो फसल कमजोर होती है और बाद में नुकसान की भरपाई करना मुश्किल हो जाता है.

हरियाली की कुंजी है नाइट्रोजन

विशेषज्ञों का कहना है कि पहली सिंचाई के समय नाइट्रोजन देना बेहद जरूरी होता है. आमतौर पर किसान इसे यूरिया के रूप में देते हैं. कुल नाइट्रोजन की आधी मात्रा पहली सिंचाई से पहले या सिंचाई के साथ देना सबसे बेहतर माना जाता है। इससे पौधों की बढ़वार तेज होती है और खेत में हरियाली बनी रहती है.

फॉस्फोरस और पोटाश से मिलती है मजबूती

अगर बुवाई के समय फॉस्फोरस और पोटाश नहीं डाले गए हों, तो पहली सिंचाई पर इनका संतुलित उपयोग किया जा सकता है. फॉस्फोरस जड़ों को मजबूत करता है, जबकि पोटाश फसल को रोगों और बदलते मौसम से बचाने में मदद करता है. इसके लिए डीएपी, एसएसपी और म्यूरेट ऑफ पोटाश का सही मात्रा में प्रयोग लाभकारी होता है.

जिंक और सल्फर से बढ़े गुणवत्ता और उत्पादन

पहली सिंचाई के समय 10 से 12 किलो जिंक सल्फेट प्रति एकड़ डालने से पत्तियों का पीलापन दूर होता है. वहीं सल्फर दानों की गुणवत्ता सुधारने के साथ फसल को मजबूती देता है. विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि खाद हमेशा सिंचाई से पहले या हल्की नमी वाली मिट्टी में डालें, ताकि पोषक तत्व पानी के साथ सीधे जड़ों तक पहुंच सकें.

संतुलित खाद ही सफलता की कुंजी

कृषि वैज्ञानिक किसानों को बताते है कि जरूरत से ज्यादा खाद नही देनी चाहिए यह फसल को नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए मिट्टी की जांच कराकर ही खाद की मात्रा तय करना बेहतर होता है. सही समय पर सही खाद और संतुलित पोषण अपनाकर किसान गेहूं की खेती में शानदार पैदावार हासिल कर सकते हैं.

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