मूंगफली के लिए काल है ये कीट, बरसात में बन जाता है और घातक.. किसान ऐसे करें नियंत्रित
कृषि जानकारों का कहना है कि किसानों को मूंगफली की खेती में हमेशा जैविक खाद का ही इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन किसानों को सिंचाई भी समय पर करनी चाहिए. मूंगफली में फूल आने और फली बनने के समय किसानों को हल्की सिंचाई करनी चाहिए.
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात सहित अधिकांश राज्यों में किसानों ने खरीफ फसल की बुवाई शुरू कर दी है. लेकिन मूंगफली के किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. क्योंकि अंकुरित मूंगफली की फसल के ऊपर ‘गोजा लट’ का प्रकोप देखने को मिल रहा है. इससे फसलों को नुकसान भी पहुंच सकता है. दरअसल, गोजा लट एक तरह लार्वा होता है, जो फसल की पत्तियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. इससे पौधों में प्रकाश संश्लेषण की कैपेसिटी घट जाती है. ऐसे में फसलों की पैदावार में भी गिरावट की संभाना बढ़ जाती है.
हालांकि, किसानों को ‘गोजा लट’ को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. अगर किसान समय रहते इसका नियंत्रण करते हैं, तो फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है. किसान चाहें, तो घर पर ही जैविक विधि से ‘गोजा लट’ को नियंत्रित करने के लिए देसी दवाई यानी कीटनाशक बना सकते हैं. कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि किसान घर पर खुद से नीम की पत्तियों को उपयोग कर प्राकृतिक कीटनाशक बना सकते हैं. इस कीटनाशक को बनाने के लिए किसान सबसे पहले 5 मिली नीम का तेल लें और उसे प्रति लीटर पानी में मिलकार अच्छी तरह से घोल तैयार कर लें. अब किसान घोल का मूंगफली की फसल के ऊपर छिड़काव कर सकते हैं. इससे ‘गोजा लट’ का प्रकोप कम होगा.
घर पर ऐसे तैयार करें देसी दवाई
अगर किसान चाहें, तो बुवाई करने से पहले खेत की तैयारी करते समय भी मिट्टी में नीम की खली मिला सकते हैं. इससे मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट के अंडे और लार्वा नष्ट हो जाएंगे. ऐसे में फसल का विकास तेजी से होगा. हालांकि, एक्सपर्ट का कहना है कि किसान गौमूत्र के घोल से भी देसी कीटनाशक दवाई बना सकते हैं. इसके लिए 1 लीटर गौमूत्र को 9 लीटर पानी में मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें. इसके बाद उस मिश्रण में मिर्च पाउडर और लहसुन का पेस्ट मिलाकर थोड़ी देर के लिए छोड़ दें. जब मिर्च पाउडर और लहसुन का पेस्ट पूरी अच्छी तरह से मिश्रण में घुल जाए, तो आप फसल के ऊपर छिड़काव कर सकते हैं. इसकी तेज गंध और औषधीय गुणों के चलते कीट और इल्लियां खेत से दूर भागते हैं. साथ ही पौधों में रोग से लड़ने की क्षमता बढ़ती है.
कब करें फसल की सिंचाई
कृषि जानकारों का कहना है कि किसानों को मूंगफली की खेती में हमेशा जैविक खाद का ही इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन किसानों को सिंचाई भी समय पर करनी चाहिए. मूंगफली में फूल आने और फली बनने के समय किसानों को हल्की सिंचाई करनी चाहिए. इसके अलावा, समय पर निराई-गुड़ाई भी करनी चाहिए. क्योंकि खेत में साफ-सफाई रहने से कीटों के प्रकोप का असर शुरुआत में ही मालूम पड़ जाता है. इससे समय पर इलाज करने का मौका भी मिल जाता है.