बारिश की तरह कुछ फैसले भी राहत लेकर आते हैं. ऐसा ही एक नया कदम उठाया है भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने, जिससे देश के लाखों किसान और छोटे उद्यमी राहत की सांस ले सकेंगे. आरबीआई ने अब यह साफ किया है कि अगर कोई किसान, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) का मालिक अपनी मर्जी से सोना या चांदी गिरवी रखना चाहता है, तो बैंक उसे लेने से इनकार नहीं कर सकते, भले ही वह लोन बिना गारंटी वाले दायरे में आता हो.
बिना गारंटी के कर्ज की सीमा अब 2 लाख रुपये
पिछले साल दिसंबर 2024 में आरबीआई ने किसानों के लिए बिना गारंटी के कर्ज की सीमा 1.60 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी थी. इसका मकसद था बढ़ती महंगाई, बीज-खाद जैसी लागतों में इजाफा और पशुपालन, मछली पालन या पोल्ट्री जैसे कृषि-सहायक कार्यों के लिए किसानों को आसान कर्ज मिल सके.
यह नियम 1 जनवरी 2025 से लागू कर दिया गया था और जून में इसके दिशा-निर्देशों को और स्पष्ट किया गया.
स्वेच्छा से गिरवी रखने पर कोई रोक नहीं
नया स्पष्टीकरण यह बताता है कि अगर कोई उधारकर्ता, चाहे वह किसान हो या छोटा उद्यमी, अपनी मर्जी से सोना या चांदी गिरवी रखता है तो बैंक उसे ले सकते हैं. इससे बैंक और ग्राहक दोनों के लिए प्रक्रिया आसान हो जाती है, खासकर जब कर्ज लेने वाला कुछ अतिरिक्त सुरक्षा देना चाहता है.
आरबीआई ने जोर देकर कहा कि यह पूरी तरह “स्वैच्छिक” होना चाहिए. मतलब यह कि बैंक या वित्तीय संस्था की ओर से कोई दबाव नहीं डाला जा सकता. यदि उधारकर्ता चाहें तो ही वे अपना गहना या कीमती धातु गिरवी रख सकते हैं.
नियमों का उल्लंघन नहीं
आरबीआई के इस नए स्पष्टीकरण के अनुसार, अगर कोई कर्जदाता स्वेच्छा से सोना-चांदी गिरवी रखता है, तो यह बिना गारंटी वाले लोन के नियमों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा. बैंकों को भी यह साफ संदेश है कि अगर कोई उधारकर्ता स्वेच्छा से अपनी पूंजी को सुरक्षित करने के लिए गहने गिरवी रखना चाहता है, तो वे उसे मना नहीं कर सकते, बशर्ते इसमें कोई मजबूरी या दबाव न हो.
किसानों के लिए फायदेमंद कदम
इस फैसले से उन किसानों और छोटे व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी जो कर्ज तो लेना चाहते हैं, लेकिन बैंक की शर्तों या अपनी साख को लेकर अनिश्चित रहते हैं. अब वे अपनी मर्जी से कोई गहना रखकर मन की शांति और थोड़ा भरोसा दोनों पा सकते हैं.