जब हम तरबूज के बारे में सोचते हैं, तो बाहर से हरा और अंदर से लाल गूदे वाला फल जहन में आता है. हालांकि, किसान अब एक नए प्रकार के तरबूज की खेती की ओर बढ़ रहे हैं. देश में पीले तरबूज की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है. यह फल न केवल स्वाद में अधिक मीठा होता है, बल्कि किसानों को अधिक मुनाफा भी देता है. आइए जानते हैं कि पीले तरबूज की खेती कैसे की जाती है, इसके फायदे क्या हैं, और बाजार में इसकी मांग कैसी है.
पीले तरबूज की खेती
भारत में महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में किसान अब पीले तरबूज की खेती कर रहे हैं. यह फल मुख्य रूप से ताइवान से आयात किए विशेष बीजों से उगाया जाता है.
पीले तरबूज की किस्में
भारत में मुख्य रूप से दो प्रकार के ताइवानी तरबूज उगाए जाते हैं. पहला ‘ग्रीन स्किन येलो फ्लेश’, इस किस्म का बाहरी छिलका हरा होता है, लेकिन अंदर से इसका गूदा पीला होता है. दूसरा ‘येलो स्किन येलो फ्लेश’, यह पूरी तरह से पीले रंग का होता है, यानी बाहर और अंदर दोनों तरफ से ये पीला दिखता है.
तरबूज की खेती कैसे करें?
पीले तरबूज की खेती भी लाल तरबूज की तरह ही की जाती है, लेकिन कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
मिट्टी और जलवायु: पीले तरबूज की खेती के लिए उपजाऊ, जल निकासी वाली दोमट या बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. इसे गर्म और शुष्क जलवायु में उगाया जाता है, जहां तापमान 25-35°C के बीच हो.
बीज बोने का सही समय: भारत में दिसंबर से मार्च तक इसकी बुवाई की जाती है, जिससे गर्मियों में अच्छी फसल मिलती है. बुवाई से पहले बीजों को कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा विराइड से उपचारित करना चाहिए, ताकि वे रोगों से सुरक्षित रहें.
पानी और खाद प्रबंधन: इसकी खेती में ड्रिप सिंचाई विधि का इस्तेमाल करें, जिससे पानी की बचत होती है और फसल अच्छी बढ़ती है. साथ ही जैविक खाद जैसे गोबर की खाद और वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करने से उत्पादन बेहतर होता है.
फसल की कटाई: बुवाई के लगभग 70-90 दिनों बाद फल तैयार हो जाते हैं. जब तरबूज का बाहरी रंग हल्का पीला हो जाए और तने का भाग सूखने लगे, तो कटाई का सही समय होता है.
कितना हो सकता है मुनाफा?
पीले तरबूज की खेती में प्रति एकड़ लगभग 1.10 लाख रुपये का खर्च आता है. अगर एक एकड़ में करीब 6,000 पौधे लगाए जाएं, तो प्रति एकड़ 1 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया जा सकता है. पीले तरबूज की बाजार में कीमत सामान्य तरबूज से दोगुनी होती है, यानी ₹50-₹60 प्रति किलोग्राम.
बाजार में मांग और बिक्री के अवसर
भारत में बड़े शहरों में जैविक और हेल्दी फूड का चलन बढ़ने से पीले तरबूज की मांग तेजी से बढ़ रही है. किसान इसे हॉर्टिकल्चर विभागों, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और बड़े सुपरमार्केट्स के जरिए बेच सकते हैं. साथ ही निर्यात बाजार में भी इसकी अच्छी मांग है, खासकर दुबई, मलेशिया और यूरोप के देशों में.