दुनियाभर में क्यों छाई है भारत की ये गाय, मैदानी इलाकों में ऐसे करें नेल्लोर का पालन

कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन विशेषज्ञ कुंवर घनश्याम ने बताया कि नेल्लोर नस्ल के बछड़े और बैल ताकत में काफी मजबूत होते हैं.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 30 Apr, 2025 | 02:09 PM

भारत की देसी नस्लों का जलावा अब सिर्फ देश में नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में बज रहा है. इसका सबसे बड़ा सबूत है वियाटिना-19.  आंध्र प्रदेश से संबंध रखने वाली नेल्लोर नस्ल की यह गाय, जिसने ब्राजील के मिनास गैरेस में हुई नीलामी में 40 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड कीमत हासिल कर ली. 1101 किलो वजन, असाधारण उत्पादन क्षमता और मजबूत शरीर वाली इस गाय ने साबित कर दिया कि भारतीय नस्लें अब वैश्विक बाजार में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करा रही हैं. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार समेत मैदानी इलाकों के लोग इस गाय का पालन करना चाहते हैं तो अनुकूल वातावरण देना होगा.

आंध्र प्रदेश सें संबंध रखती है नेल्लोर गाय

नेल्लोर नस्ल की गाय का गहरा संबंध भारत के आंध्र प्रदेश से है, जहां इसे ओंगोल नस्ल के नाम से भी जाना जाता है. यह नस्ल न केवल अपने मजबूत शरीर और सफेद चमकदार त्वचा के लिए जानी जाती है, बल्कि इसकी गर्मी सहने की क्षमता और मजबूत रोग प्रतिरोधक शक्ति इसे उष्णकटिबंधीय इलाकों जैसे अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में बेहद बेशकीमती बना देती है. भारत में भी इस नस्ल के दूध, घी और जैविक उत्पादों की अच्छी-खासी मांग है और अब वियाटिना-19 जैसे उदाहरण साबित कर रहे हैं कि देसी नस्लें अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपना लोहा मनवा रही हैं.

सामान्य गायों की अपेक्षा दोगुना वजन

वियाटिना-19 का वजन 1,101 किलोग्राम है, जो इसे सामान्य नेल्लोर गायों से लगभग दोगुना भारी बनाता है. इसके सफेद और चमकदार शरीर, लचीली चमड़ी और उभरे हुए कूबड़ ने इसे विशेष बना दिया है. यह गाय गर्म क्षेत्रों के लिए आदर्श मानी जाती है और इसकी बिक्री ने न केवल भारतीय नस्ल की गायों की वैश्विक पहचान को बल दिया है, बल्कि दुनिया भर में इनकी बढ़ती मांग को भी उजागर किया है.

गायों की अनोखी दुनिया और महंगी नस्लें

गायें सिर्फ दूध देने के लिए ही नहीं होतीं, बल्कि कुछ खास नस्लों की कीमत उनके असाधारण गुणों के कारण बहुत ज्यादा होती है. दुनिया में ऐसी कई नस्लें हैं जो अपनी अनूठी विशेषताओं की वजह से लाखों-करोड़ों में बिकती हैं. जापान की वाग्यू और भारत की साहीवाल गायें इसकी बेहतरीन मिसाल हैं. ये गायें गर्मी में भी आसानी से जी सकती हैं और इनकी नस्ल बहुत ही अच्छी मानी जाती है. यही वजह है कि इनकी मांग पूरी दुनिया में बनी रहती है.

उत्तरी भारत में नेल्लोर गाय पालने में दिक्कत क्यों?

उत्तरी भारत में नेल्लोर गाय पालने में दिक्कते आती हैं, इस दिक्कत की खास वजह है यहां का वातावरण. ओंगोल नस्ल की गायें अपनी गर्मी सहन करने की क्षमता, लचीलेपन और रोग प्रतिरोधकता के लिए जानी जाती हैं और यही वजह है कि ये आंध्र प्रदेश जैसे गर्म और शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में खूब फलती-फूलती हैं. जब बात यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश जैसै राज्यों की आती है, तो स्थिति बदल जाती है. इन इलाकों में सर्दियां ज्यादा पड़ती हैं, ठंड और पाला भी पड़ता है, जो इस नस्ल के अनुकूल नहीं होता. अगर आप फिर भी इसका पालन करना चाहते हैं तो उसके लिए पहले आपको उसके अनरुप वातावरण करना होगा. तब जाकर आप इसका पालन कर सकते हैं.

उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन विशेषज्ञ कुंवर घनश्याम ने ‘किसान इंडिया’ बताया कि ओंगोल नस्ल की गायें दूध देने और बैल ताकत में काफी मजबूत होते हैं.

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Published: 30 Apr, 2025 | 02:08 PM

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