घर पर उगाइए रसीली स्ट्रॉबेरी, जानिए बोने का सही समय और आसान तरीका

स्ट्रॉबेरी को पत्ते खाने वाले कीट, चीटियां या फफूंदी जैसी बीमारियां परेशान कर सकती हैं. कोशिश करें कि रासायनिक दवाइयों की बजाय घरेलू जैविक उपायों जैसे नीम का छिड़काव या तुलसी-गेंदा जैसे साथी पौधों की मदद लें.

नई दिल्ली | Published: 13 Jun, 2025 | 03:52 PM

रसीली, लाल और मीठी स्ट्रॉबेरी को देखकर किसका मन नहीं ललचाता! बाजार में मिलने वाली स्ट्रॉबेरी भले ही महंगी हो, लेकिन अगर आप चाहें तो इसे घर पर भी उगा सकते हैं वो भी बिना किसी झंझट के. लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप इसे सही समय पर बोएं. गलत समय पर बुआई करने से फल कम आते हैं या पौधे सही तरह से बढ़ नहीं पाते. तो आइए जानते हैं स्ट्रॉबेरी की खेती की सही शुरुआत का राज.

कब करें स्ट्रॉबेरी की बुआई?

स्ट्रॉबेरी ठंडी जलवायु की फसल है, इसलिए इसे बोने का सबसे अच्छा समय वसंत (फरवरी से मार्च) होता है. इस दौरान मिट्टी हल्की गर्म हो जाती है लेकिन गर्मी का असर अभी कम होता है. इससे पौधे अपनी जड़ें जमाने में सफल होते हैं और गर्मियों तक अच्छे फल देने लगते हैं. अगर आप पहाड़ी या ठंडे इलाके में रहते हैं, तो फरवरी के आसपास इसकी बुआई करें. वहीं, समतल और गर्म इलाकों में अप्रैल से मई तक बो सकते हैं.

कैसी हो मिट्टी और जगह?

स्ट्रॉबेरी को धूप बहुत पसंद है, इसलिए ऐसी जगह चुनें जहां रोज कम से कम 6 से 8 घंटे की धूप आती हो. मिट्टी हल्की, भुरभुरी और अच्छी जल निकासी वाली होनी चाहिए. बुआई से पहले मिट्टी में अच्छी मात्रा में गोबर की खाद या कंपोस्ट मिलाएं, ताकि पौधों को भरपूर पोषण मिल सके.

कैसे करें पौधे की बुआई?

स्ट्रॉबेरी के पौधों को इस तरह लगाएं कि उनका ‘क्राउन’ यानी जड़ों और तनों के मिलने की जगह मिट्टी की सतह पर ही रहे. पौधों के बीच करीब 12 से 18 इंच की दूरी रखें, ताकि हवा ठीक से चल सके और बीमारी न फैले. बुआई के बाद पौधों को अच्छी तरह पानी दें.

सिंचाई और देखभाल में ध्यान दें ये बातें

पौधों को नियमित रूप से पानी देना जरूरी है, खासकर गर्म और सूखे मौसम में. मिट्टी को नम रखना चाहिए लेकिन पानी जमा न हो. आप चाहें तो पौधों के चारों ओर घास फूस या पत्तों की परत (मल्चिंग) बिछा सकते हैं, इससे नमी बनी रहती है और खरपतवार भी नहीं उगते.

कीटों से रखें सावधानी

स्ट्रॉबेरी को पत्ते खाने वाले कीट, चीटियां या फफूंदी जैसी बीमारियां परेशान कर सकती हैं. कोशिश करें कि रासायनिक दवाइयों की बजाय घरेलू जैविक उपायों जैसे नीम का छिड़काव या तुलसी-गेंदा जैसे साथी पौधों की मदद लें.

अगर आपने ध्यान से सही समय पर स्ट्रॉबेरी बोई, उसकी देखभाल की और मौसम का ध्यान रखा तो बस कुछ ही हफ्तों में आपके गमले या खेत में लाल-लाल, रस से भरी स्ट्रॉबेरी तैयार मिलेंगी. इनका स्वाद, जो आपने खुद उगाया है, यकीन मानिए बाजार की स्ट्रॉबेरी से कई गुना बेहतर होगा.