पहली बार अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट्स बनाएंगे बीयर, क्या धरती जैसा होगा इसका स्वाद?

इस प्रयोग का मकसद है स्पेस में फूड और ड्रिंक्स टेक्नोलॉजी को समझना. भविष्य में जब इंसान लंबे समय के लिए चंद्रमा, मंगल या किसी अन्य ग्रह पर रहेगा, तो उसके लिए सिर्फ खाना ही नहीं, आराम, मनोरंजन और मनोवैज्ञानिक संतुलन भी जरूरी होगा.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 5 Aug, 2025 | 09:37 AM

कल्पना कीजिए… ऊपर तारों भरे आसमान में, ग्रहों की दुनिया के बीच, जहां गुरुत्वाकर्षण नाम की चीज नहीं, वहां बीयर बन रही हो. सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन अब ये हकीकत बनने जा रही है. पहली बार इंसान अंतरिक्ष (Space) में बीयर बनाने जा रहा है.अमेरिका की एक कंपनी इस अनोखे प्रयोग की तैयारी में जुटी है, और इसका मकसद है यह जानना कि क्या जीरो ग्रैविटी यानी बिना गुरुत्वाकर्षण के माहौल में बीयर बनाना मुमकिन है या नहीं.

अंतरिक्ष में बीयर? क्यों कर रहा है इंसान ऐसा प्रयोग?

डेक्कन हेराल्ड की खबर के अनुसार, इस प्रयोग को अमेरिका की कंपनी Starbase Brewing अंजाम दे रही है. कंपनी ने घोषणा की है कि वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर बीयर बनाने की प्रक्रिया का पहला वैज्ञानिक टेस्ट करेगी.

हालांकि ये साफ़ कर दिया गया है कि स्पेस में बीयर पीने की इजाजत अभी नहीं है. लेकिन ये प्रयोग बीयर पीने के लिए नहीं, बल्कि उसकी बनाने की प्रक्रिया को समझने के लिए किया जा रहा है. इसका बड़ा मकसद है भविष्य की तैयारी, जब इंसान चंद्रमा या मंगल जैसे ग्रहों पर रहने लगेगा.

धरती पर बीयर बनती कैसे है?

पृथ्वी पर बीयर बनाना एक लंबी और नियंत्रित प्रक्रिया होती है. जिसमें जौ (Barley) को भिगोकर अंकुरित किया जाता है (इस प्रक्रिया को माल्टिंग कहते हैं). इसके बाद इसे सुखाकर पीसते हैं और फिर पानी और हॉप्स (एक खास खुशबूदार फूल) के साथ मिलाया जाता है. फिर इसमें खमीर (Yeast) मिलाया जाता है, जो चीनी को अल्कोहल में बदलता है. इस पूरी प्रक्रिया को फर्मेंटेशन (किण्वन) कहते हैं. इसमें गैसें निकलती हैं, बबल्स बनते हैं और फ्लेवर तैयार होता है.

स्पेस में बीयर बनाना क्यों है चुनौतीपूर्ण?

अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, यानी वहां द्रव नीचे नहीं बैठता, गैस ऊपर नहीं उठती. ऐसे में फर्मेंटेशन का पूरा गणित बिगड़ सकता है. इसी वजह से Starbase Brewing एक खास फर्मेंटेशन डिवाइस अंतरिक्ष भेजेगी, जो वहां भी काम कर सके.

ऐसे बनेगी अंतरिक्ष में बीयर

बीयर बनाने की प्रक्रिया तो वही रहेगी, लेकिन जीरो ग्रैविटी में थोड़ा अलग अंदाज होगा, सबसे पहले जौ को भिगोकर अंकुरित किया जाएगा. फिर उसे पीसकर हॉप्स और पानी में मिलाया जाएगा. उसके बाद खमीर डाला जाएगा, जिससे फर्मेंटेशन शुरू होगा और धीरे-धीरे बीयर तैयार हो जाएगी.

क्या स्पेस में बीयर पी सकेंगे एस्ट्रोनॉट्स?

नहीं. फिलहाल ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा. NASA और दूसरी स्पेस एजेंसियां स्पेस में अल्कोहल के सेवन की कड़ी मनाही करती हैं. क्योंकि अल्कोहल से शरीर और दिमाग की प्रतिक्रिया बदल सकती है और ऐसी जगह जहां एक-एक निर्णय जान का सवाल बन जाए, वहां ये जोखिम नहीं लिया जा सकता.

इन सब पीछे की वजह

इस प्रयोग का मकसद है स्पेस में फूड और ड्रिंक्स टेक्नोलॉजी को समझना. भविष्य में जब इंसान लंबे समय के लिए चंद्रमा, मंगल या किसी अन्य ग्रह पर रहेगा, तो उसके लिए सिर्फ खाना ही नहीं, आराम, मनोरंजन और मनोवैज्ञानिक संतुलन भी जरूरी होगा. बीयर जैसे पेय इन जरूरतों में योगदान दे सकते हैं लेकिन उन्हें वहीं बनाना पड़ेगा.

भविष्य की बीयर?

अब जब स्पेस ट्रैवल की बातें तेज हो रही हैं, और चंद्रमा व मंगल पर बेस बनाने की योजनाएं बन रही हैं तब वहां की जीवनशैली में खाने-पीने के अनुभव भी शामिल होंगे. कौन जानता आने वाले 30-40 साल में आप चंद्रमा पर बनी बीयर का स्वाद ले रहे हों?

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Published: 5 Aug, 2025 | 09:35 AM

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