अगस्त में पशुपालक क्या करें क्या नहीं.. राज्य सरकार ने जारी की एडवाइजरी

बारिश के दिनों में पशुओं में अकसर खतरनाक रोगों के कारण उनके जीवन पर संकट मंडराने लगता है. ऐसे में पशुपालकों के लिए बेहद जरूरी है कि वे समय रहते अपने पशुओं के बचाव के इंतजाम कर लें और सभी जरूरी उपाय कर लें.

नोएडा | Published: 18 Aug, 2025 | 03:47 PM

देश में मॉनसून अपने चरम पर.  इस मौसम में लगातार होने वाले बदलाव और बारिश के कारण न केवल फसलों को नुकसान होता है बल्कि पशुओं के लिए भी ये मौसम कई तरह की चुनौतियां लेकर आता है. बरसात के दिनों में जितना जरूरी किसानों के लिए अपनी फसलों की सुरक्षा करना है, उतना ही जरूरी है कि पशुपालक भी अपने इन दिनों अपने पशुओं की सुरक्षा करें. बारिश के दिनों में पशुओं में अकसर खतरनाक रोगों के कारण उनके जीवन पर संकट मंडराने लगता है.

ऐसे में पशुपालकों के लिए बेहद जरूरी है कि वे समय रहते अपने पशुओं के बचाव के इंतजाम कर लें और सभी जरूरी उपाय कर लें. बिहार पशु निदेशालय और मत्स्य विभाग ने प्रदेश के पशुपालकों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें अगस्त के महीने में पशुओं से जुड़ी कुछ जरूरी बातें बताई गई हैं. विभाग की किसानों से अपील है कि वे एडवाइजरी में दी गई बातों की सख्ती से पालन करें.

तेज धूप और तापमान से करें बचाव

इंसानों की तरह पशुओं को भी तेज धूप और बढ़ते तापमान से बचाव की जरूरत होती है. इसलिए पशुपालकों के लिए सलाह है कि वे अपने पशुओं को किसी शेड वाली जगह पर रखें और तेज धूप से उनका बचाव करें. तेज धूप में रहने के कारण पशुओं को लू लग सकती है जिसके कारण उन्हें बुखार, कमजोरी और डिहाइड्रेशन हो सकता है. ज्यादा गर्मी के कारण पशु सुस्त पड़ जाते हैं और थकान भी महसूस करते हैं जिसके कारण उनके द्वारा दूध उत्पादन में भी कमी आ सकती है. इसलिए जरूरी है कि गर्मी के दिनों में पशुओं का खास खयाल रखें, उन्हें पर्याप्त मात्रा में साफ और ठंडा पानी पिलाएं. पशुशाला को ठंडा रखने के लिए पंखे लगवाएं और पशुओं पर बीच-बीच में पानी का छिड़काव भी करें.

खुरहा-मुंहपका रोग होने पर पशुओं को अलग करें

अगर पशुपालकों को अपने पशुओं में खुरहा या मुंहपका रोग के लक्षण नजर आएं तो संक्रमित पशुओं को सबसे पहले अन्य पशुओं से अलग कर दें, क्योंकि ये एक वायरस जनित बीमारी है जो कि अन्य पशुओं में भी तेजी से फैलती है. संक्रमित पशुओं को अलग करने के साथ ही इन पशुओं के खाने-पीने का इंतजाम भी अलग से करें. इसके अलावा किसानों को ध्यान रखना होगा कि जिन पशुओं में खुरहा-मुंहपका के लक्षण हों, उनके दूध को बछड़ों को न पीने दें. ऐसा करने से बछड़ों को संक्रमित होने से बचाया जा सकेगा. इसके साथ ही अगर पशुओं में गलाघोंटू या किसी अन्य रोग का संक्रमण हो जाए तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें.

खुरपका रोग होने पर पशुओं को कर दें अलग

नियमित रूप से दें खनिज-मिश्रण

अगस्त के महीने में बारिश के कारण उमस बढ़ती है जिसके कारण पशुओं को भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पशुपालकों के लिए बेहद जरूरी है कि वे पशुओं की सेहत का पूरी तरह से ध्यान रखें. इस दौरान पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए उन्हें हर दिन नियमित रूप से 30 से 50 ग्राम खनिज-मिश्रण जरूर दें. इसकी मदद से पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ती है और उनकी तंदरुस्ती भी बनी रहती है.

Topics: