सेना की नौकरी के बाद शुरू की टमाटर की खेती, फतेहपुर के अरुण वर्मा की कहानी किसानों के लिए प्रेरणा

अरुण वर्मा ने देशभर में चल रहीं आधुनिक खेती की तकनीकों की मदद से कड़ी मेहनत करके गेहूं, धान और तिलहनी फसलों की खेती की शुरुआत की . लेकिन बहुत मेहनत के बाद भी उन्हें मन मुताबिक परिणाम नहीं मिला जिसके बाद एक बार फिर उनका मन नौकरी की तरफ बढ़ गया.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 18 Aug, 2025 | 12:47 PM

कहते हैं कि लोग नौकरी के लिए अपने घरों से तो दूर चले जाते हैं लेकिन अपनी जड़ों से दूर नहीं जा पाते. ऐसा ही कुछ हुआ उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के रहने वाले सेना के एक जवान के साथ, जिसे घर की याद और खेती की तरफ बढ़ते रुझान ने सेना की नौकरी के बाद खेती करने को मजबीर कर दिया.  आज की हमारी ‘चैंपियन किसान’ की सीरीज में हम बात कर रहे हैं फतेहपुर के ‘चैंपियन किसान’ अरुण वर्मा की,  फतेहपुर जिला कृषि विभाग के अनुसार, अरुण वर्मा ने सेना की नौकरी के बाद टमाटर की खेती की शुरुआत की और आज लाखों में कमाई कर रहे हैं. इसके साथ ही अरुण आज अन्य किसानों के लिए प्रेरणा भी बन गए हैं.

सेना की नौकरी के बाद शुरू की खेती

किसान अरुण कुमार बताते हैं कि उनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ था लेकिन उनका मन हमेशा से नौकरी की तरफ था. साल 1984 में उन्हें सेना में नौकरी मिली, देश की रक्षा की भावना के साथ उन्होंने नौकरी की शुरुआत की. लेकिन अरुण बताते हैं कि जब भी उन्हें घर की याद आती तो वे पिता के साथ खेतों में बिताया हुआ समय याद आता. उन्होंने बताया कि छुट्टियों में जब वे घर जाते थे तो पिता के साथ खेतों में हाथ भी बंटाते थे और इस तरह धीरे-धीरे उनका रुझान खेती की तरफ बढ़ता चला गया. जिसके बाद साल 2001 में उन्होंने सेना की नौकरी के नौकरी के बाद आधुनिक तरीके से खेती करने का मन बना लिया.

गेहूं, धान और तिलहनी फसलों से की शुरुआत

फतेहपुर जिला कृषि विभाग के अनुसार, अरुण वर्मा ने देशभर में चल रहीं आधुनिक खेती की तकनीकों की मदद से कड़ी मेहनत करके गेहूं, धान और तिलहनी फसलों की खेती की शुरुआत की . लेकिन बहुत मेहनत के बाद भी उन्हें मन मुताबिक परिणाम नहीं मिला जिसके बाद एक बार फिर उनका मन नौकरी की तरफ बढ़ गया. इसके बाद उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के रूप में नौकरी शुरू की. अरुण बताते हैं कि पढ़ाने के साथ-साथ वे हर दिन खेती का भी काम करते थे जिसके बाद उन्हें ऐसा अहसास हुआ कि एक न एक दिन वे आधुनिक खेती करके अपनी आमदनी जरूर बढ़ाएंगे.

टमाटर की खेती से दोबारा हुई शुरुआत

साल 2008-09 में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग फतेहपुर के संपर्क में आने के बाद विभाग के अधिकारियों द्वारा बतायी गयी तकनीक से अरुण ने 1 हेक्टेयर जमीन पर टिशूकल्चर केला की ग्रैंड नाइन किस्म की खेती की लेकिन उन्हें उससे अच्छा परिणाम नहीं मिला और नुकसान भी हुआ. इसके बाद उन्होंने केला छोड़कर टमाटर की खेती की शुरुआत की और साल 2010 में उन्होंने 1 बीघा खेत में टमाटर की खेती की शुरुआत की जिससे उन्हें 5 महीने में ही करीब 27 हजार रुपये की कमाई हुई. इसके बाद अरुण ने अपने पूरे खेतों पर धान, सरसों एवं टमाटर के फसल चक्र को अपनाया और इससे 1 साल में उन्हें लगभग 2 लाख रुपये की मुनाफा हुआ.

आधुनिक विधि से की सिंचाई

अरुण बताते हैं कि उन्हें टमाटर की खेती से फायदा तो हुआ लेकिन उनके सामने मजदूरी और पानी की समस्या लगातार बनी हुई थी. जिसके बाद उन्होंने साल 2013-14 में उद्यान विभाग से ड्रिप सिंचाई के तहत उन्हें 33 हजार रुपये की वित्तीय सहायता मिली. वर्तमान में अरुण अपने 10 बीघा खेत में संकर टमाटर की हिमसोना किस्म की खेती कर रहे हैं. जिससे उन्हें अच्छा फायदा मिल रहा है.

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खेतों में ड्रिप सिस्टम लगवाते हुए अरुण वर्मा

कितनी है लागत और कमाई

किसान अरुण ने बताया कि वर्तमान में वे टमाटर की फसल लगाने के लिए कुल 6 लाख रुपये तक खर्च कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि 1 हेक्टेयर खेत में ड्रिप विधि से टमाटर की खेती की जा रही है. उस खेत में दूसरे खेत की तुलना में डेढ़ गुना उत्पादन होने की संभावना है तथा वर्तमान में जो उत्पादन हो रहा है उसकी क्ववालिटी भी बहुत अच्छी होने के कारण बाजार में सबसे पहले अधिक दर 14 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा है. बाजार में चल रहे भाव के अनुमान के अनुसार अरुण को पूरी उम्मीद है कि उन्हें 25 लाख रुपये की सालाना आमदनी होगी. इसके अलावा बेसिक शिक्षा विभाग की नौकरी और पशुपालन से होने वाली कमाई के आधार पर अरुण साल में करीब 33 लाख 25 हजार रुपये की कमाई कर लेते हैं.

अन्य किसानों के लिए बनें प्रेरणा

फतेहपुर के किसान अरुण कुमार आज अपने आस पास के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. उनकी कहानी बताती है कि अगर इंसान मन बना ले तो कुछ भी हासिल कर सकता है. इसके साथ ही अरुण ने किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की मदद लेकर ये साबित कर दिया कि एक किसान के लिए बेहद जरूरी है कि वे अपने हक और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को लेकर जागरूक रहें.

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Published: 18 Aug, 2025 | 10:00 AM

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