Vegetable Farming: लौकी एक ऐसी सब्जी है, जिसकी पूरे साल मार्केट में डिमांड रहती है. इसके बावजूद किसान इसकी खेती करने से कतरा रहे हैं. किसानों का कहना है कि लौकी की फसल पर कीट और रोगों के हमले अधिक होते हैं. इससे पैदावार में गिरावट आ जाती है. लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसे अपनाते ही लौकी की पैदावार बढ़ जाएगी. खास बात यह है कि इसके लिए किसानों को ज्यादा खर्च भी नहीं करने की जरूरत है.
दरअसल, सभी लोगों के किचन से सब्जियों के अवशेष निकलते हैं. अधिकांश लोग इसे कचड़ा समझकर फेंक देते हैं. लेकिन लोगों को मालूम होना चाहिए कि ये अवशेष कचरा नहीं बल्कि एक जैविक खाद है. बस किसानों को इसका सही इस्तेमाल करने आना चाहिए. अगर किसान चाहें, तो इस अवशेष को प्राकृतिक पीला घोल बनाकर खाद के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इस घोल को लौकी की बेल पर छिड़कने पर कुछ ही दिनों में बेल पर बड़ी, हरी और ताजी लौकियां दिखने लगेंगी. खास बात यह है कि यह घोल न केवल फलों को सड़ने से बचाता है, बल्कि मिट्टी को भी स्वस्थ रखता है. यानी किसान के साथ-साथ किचन गार्डन में सब्जी उगाने वाले लोग भी इस नुस्खे को अपना सकते हैं.
लौकी की फसल पर कीटों का हमला
छत या बालकनी में सब्जियां उगाने वाले लोग अक्सर देखते हैं कि लौकी की बेल में फल तो बनते हैं, लेकिन जल्दी ही काले होकर या सड़कर झड़ जाते हैं. कई लोग इसे पानी या मिट्टी की समस्या समझ लेते हैं, जबकि असली कारण कुछ और होता है. एक्सपर्ट के मुताबिक, लौकी के फलों के झड़ने की बड़ी वजह कीटों का हमला और फफूंद लगना है. खासकर फ्रूट फ्लाई छोटे फलों में अंडे दे देती है, जिससे फल अंदर से सड़ जाते हैं और समय से पहले गिर जाते हैं. बाजार में मिलने वाले रासायनिक कीटनाशक भले ही असरदार हों, लेकिन वे पौधों और मिट्टी दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए आप अपने घर पर ही जैविक पीला घोल तैयार कर सकते हैं.
इस तरह तैयर करें मिश्रण
इस घोल को तैयार करने के लिए एक मुट्ठी नीम की पत्तियां, 8 से 10 कनेर के पत्ते, लहसुन की 10 कलियां, 4 से 5 हरी मिर्च और 1 चम्मच हल्दी पाउडर का मिश्रण तैयार कर लें. इसके बाद 2 लीटर पानी मिला दें. फिर मिश्रण को 24 घंटे ढककर छोड़ दें, ताकि सभी तत्व अच्छी तरह मिल जाएं. अगले दिन इसे छानकर स्प्रे बोतल में भर लें.
इतने दिन पर करें घोल का छिड़काव
इस घोल को सप्ताह में 1 से 2 बार लौकी की बेल पर हल्के से छिड़कें. खासकर फलों के पास और पत्तियों की नीचे वाली सतह पर स्प्रे अवश्य करें. अगर बेल में पहले से कीट या फफूंद दिख रही हो, तो दो दिनों के अंतराल पर दो बार स्प्रे करें. कुछ ही हफ्तों में बेल ताजा दिखने लगेगी और छोटे फल बिना सड़े बड़े होकर हरे-चमकदार बनेंगे. दरअसल, नीम और कनेर के पत्तों में मजबूत एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं. लहसुन और मिर्च में मौजूद सल्फर और कैप्साइसिन कीटों को पास नहीं आने देते, जबकि हल्दी एक प्राकृतिक फंगीसाइड की तरह पौधे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है. यह घोल फल और पौधे के बीच एक तरह की प्राकृतिक सुरक्षा परत बना देता है.