Animal Safety : सर्दियों का मौसम आते ही ठंडी हवाओं के साथ सांप, बिच्छू और अन्य कीड़े-मकोड़े अधिक सक्रिय हो जाते हैं. इंसान खुद को सुरक्षित रखने के उपाय अपनाता है, लेकिन पशुपालक के पशु अक्सर इस मौसम में खतरे में पड़ जाते हैं. अगर किसी जहरीले सांप ने पशु को काट लिया है, तो समय पर सही कदम उठाकर उसकी जान बचाई जा सकती है.
पहले जानें काटने की जगह और तुरंत कार्रवाई करें
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सांप का काटना किसी भी समय घबराने वाला अनुभव होता है. सबसे पहले यह देखें कि पशु के शरीर के किस हिस्से पर काटा गया है. इसके 3 इंच ऊपर पतली डोरी बांधें, जिससे जहर का फैलाव थोड़ी देर के लिए रुके. इसके बाद सावधानी से काटी जगह पर हल्का चीरा लगाएं. इससे जहर बाहर निकलने लगता है. ध्यान रहे, सिर्फ चीरा लगाना है, चमड़ी को न काटें. चमड़ी कटने से अत्यधिक रक्त बहने का खतरा रहता है.
पशु को शांत वातावरण में रखें और चिकित्सक बुलाएं
चीरा लगाने और डोरी बांधने के दौरान पशु संवेदनशील और कमजोर होता है. इसलिए उसे शांत और सुरक्षित जगह पर रखें. किसी व्यक्ति को तुरंत पशु चिकित्सक को बुलाने के लिए भेज दें. समय पर चिकित्सक एंटीडोट देंगे और पशु की जान बच सकती है. सर्दियों में ठंडी हवाओं के कारण पशु का शरीर जल्दी ठंडा हो सकता है, इसलिए उसे कम समय के लिए खुले में न रखें.
सर्दियों में विशेष देखभाल जरूरी
ठंड में पशुओं को गर्म और पौष्टिक आहार देने की जरूरत होती है. खुले में रखने से सांप और कीड़े आसानी से पास आ सकते हैं. इसलिए पशुओं को हवादार, लेकिन गर्म और साफ कमरे में रखें. चारे की समय पर व्यवस्था करना और पानी गुनगुना देना जरूरी है. इससे पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर जहर के असर से बचा रहता है.
बाड़ा और वातावरण की सफाई बनाए रखें
सर्दियों में बाड़ा साफ और सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है. गंदगी और कचरे में सांप और कीड़े ज्यादा आते हैं. नियमित सफाई और कीट नियंत्रण से पशु सुरक्षित रहते हैं और संक्रमण का खतरा कम होता है. साफ बाड़ा और गर्म बिस्तर पशु को ठंडी हवाओं से बचाता है और दूध देने वाले पशुओं के लिए भी मददगार है.
समय पर चिकित्सक की मदद लें
सांप के काटने की स्थिति में पशु चिकित्सक की भूमिका अहम होती है. एंटीडोट देने से जहर का असर कम होता है और पशु जल्दी ठीक हो जाता है. पशुपालक को हमेशा तैयार रहना चाहिए कि आपातकाल में तुरंत चिकित्सक को बुलाया जा सके. साथ ही पशु के नियमित टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच से उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है.