किसानों की कमाई बढ़ाएंगे केले के पत्ते.. पशुओं का दूध उत्पादन भी बढ़ेगा, जान लें ट्रिक

Green Fodder: अब खेतों से निकलने वाले केले के पत्ते बन रहे हैं दुधारू पशुओं के लिए पोषण का सस्ता और असरदार जरिया. यह चारा न सिर्फ दूध की मात्रा बढ़ाता है बल्कि किसानों की आमदनी और पशुओं की सेहत दोनों को मजबूत बनाता है.

Kisan India
नोएडा | Published: 23 Oct, 2025 | 01:46 PM

Organic Feed for cattle farmers: अगर आप भी सोचते हैं कि दूध बढ़ाने के लिए महंगे चारे की जरूरत होती है, तो अब सोच बदलने का वक्त आ गया है. खेत में बचने वाले केले के पत्ते अब किसानों के लिए सोने से कम नहीं. यही पत्ते बन रहे हैं दुधारू पशुओं के नए पसंदीदा आहार और किसानों की बढ़ी आमदनी का सबसे सस्ता जरिया.

केले के पत्ते बने नया ग्रीन फूड फॉर्मूला

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मौसम बदलते ही किसान अब परंपरागत चारे के साथ केले के पत्तों को भी पशुओं के खाने में शामिल कर रहे हैं. केले के पत्ते फाइबर, मिनरल्स और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होते हैं. ये पशुओं के लिए प्राकृतिक डिटॉक्स की तरह काम करते हैं, जिससे उनका पाचन तंत्र मजबूत होता है और शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती है. पशुओं को जब ऐसा पौष्टिक और हरा चारा  मिलता है, तो दूध की मात्रा के साथ उसकी क्वालिटी में भी सुधार आता है. कई किसानों का कहना है कि केले के पत्ते खिलाने के कुछ ही हफ्तों में दूध उत्पादन में फर्क साफ दिखने लगता है.

किफायती और टिकाऊ विकल्प बना देसी चारा

महंगे चारे की बढ़ती कीमतों ने छोटे किसानों के सामने चुनौती खड़ी कर दी थी. लेकिन केले के पत्ते इस परेशानी का सस्ता और स्थायी समाधान साबित हो रहे हैं. यह न सिर्फ खेत में आसानी से मिल जाते हैं, बल्कि कटाई के बाद बची सामग्री को चारे के रूप में इस्तेमाल करने से कोई अतिरिक्त खर्च भी नहीं आता. इससे किसानों को दोहरा फायदा होता है- एक तरफ पशुओं को पौष्टिक भोजन मिलता है, दूसरी ओर खेतों में कचरा कम होकर पर्यावरण को भी राहत मिलती है.

पर्यावरण के अनुकूल और 100% जैविक चारा

केले के पत्तों की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल और रासायनिक तत्वों  से मुक्त होते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि न तो मिट्टी को नुकसान और न ही पशुओं के शरीर में किसी तरह की रासायनिक गड़बड़ी. खेती में बचे अवशेषों का यह उपयोग पर्यावरण के लिए वरदान बन गया है. जहां पहले ये पत्ते बेकार समझे जाते थे, वहीं अब यही “ग्रीन फीड” बनकर डेयरी उद्योग में नई ऊर्जा भर रहे हैं.

आय में इजाफा और सेहत में सुधार

केले के पत्तों को पशुओं के आहार में शामिल करने से दूध उत्पादन  में औसतन 10 से 15% तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है. साथ ही, दूध की गुणवत्ता भी बेहतर होती है क्योंकि यह चारा प्राकृतिक मिनरल्स से भरपूर होता है. इससे पशुओं की सेहत में भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलता है- कम बीमारियां, बेहतर पाचन और ज्यादा ऊर्जा. किसानों के मुताबिक, जब पशु स्वस्थ रहते हैं और दूध अधिक देते हैं, तो उनकी आमदनी में भी सीधा बढ़ोतरी होती है. यह एक ऐसा मॉडल है जो टिकाऊ, सस्ता और हर किसान के लिए अपनाने योग्य है.

भविष्य की डेयरी फीड: खेत से सीधे चरागाह तक

देशभर में तेजी से बढ़ रहे डेयरी फार्मिंग सेक्टर के लिए केले के पत्ते अब एक नया विकल्प बन रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसान इस तरह के प्राकृतिक और स्थानीय स्रोतों पर ध्यान दें, तो डेयरी उत्पादन  में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है. भविष्य में जब हर खेत से निकलने वाले केले के पत्ते चारे के रूप में इस्तेमाल होंगे, तो यह सिर्फ किसानों की आमदनी नहीं बढ़ाएगा, बल्कि देश को जैविक पशुपालन की दिशा में भी आगे ले जाएगा.

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