बारिश में पशुओं के लिए मुसीबत बनते हैं ये कीड़े, इन लक्षणों से पहचानें बीमारी

बरसात आते ही खतरनाक बीमारियां फैलने लगती हैं. ऐसे में पशुओं की सेहत का ख्याल रखना बहुत जरूरी हो जाता है. समय पर इलाज न हो तो जानवर की मौत भी हो सकती है.

नोएडा | Updated On: 20 Jun, 2025 | 01:58 PM

बरसात के मौसम में पशुओं को जितना चारा- पानी जरूरी है, उतनी ही जरूरी है उनकी सेहत की देखभाल. इस मौसम में एक ऐसी बीमारी तेजी फैलती है, जो दिखने में मामूली लगती है. लेकिन जानवरों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. मक्खियों के जरिए फैलने वाली इस बीमारी में जख्मों में अंडे दिए जाते हैं, जिनसे जिंदा कीडे निकलते हैं. ये कीड़े धीरे- धीरे जख्म को और बड़ा करते जाते हैं और पशु के मांस को खाते रहते हैं. अगर समय पर इलाज न हो तो पशु की जान भी जा सकती है. ये बीमारी ज्यादातर गंदगी में रहने वाले पशुओं को फैलती है.

कैसे होती है ये बीमारी

इस बीमारी को मायियासिस कहा जाता है. जब पशु के शरीर पर कोई घाव होता है और उस घाव को साफ नहीं रखा जाता तो मक्खियां वहां अंडे देना शुरू कर देती हैं. इन अंडों से कुछ ही समय में कीड़े निकलते हैं, जिन्हें लार्वा कहा जाता है. ये लार्वा जीवित रहते हुए घाव के आसपास की मांसपेशियों को खाना शुरू कर देते हैं. जब ये कीड़े बड़े होकर प्यूपा (pupa) में बदलते हैं तो घाव के आसपास गिरते हैं, जिससे नया संक्रमण शुरू हो जाता है. पशु विशेषज्ञों की माने तो ये बिमारी ज्यादातर गंदगी में रहने वाले पशुओं में होती है. देखा जाए तो यह बीमारी सुअर, भेड़ और बकरी जैसे पशुओ में ज्यादा फैलती है.

बरसात में क्यों बढ़ता है खतरा

बरसात के मौसम में वातावरण नम और गंदगी से भरा होता है. इस मक्खियों की संख्या भी बढ़ जाती है और ये संक्रमित घावों के पास मंडराने लगती हैं. इसमें होता ये है कि अगर पशु कीचड़ या गंदगी में बैठते हैं तो घाव और ज्यादा खराब होने लगता है. इतना ही नहीं, मक्खियों के जरिए यह संक्रमण एक पशु से दूसरे तक भी फैल सकता है.

आपको बता दें कि यह मक्खी सामान्य मक्खियों की तुलाना में 4 से 5 गुना बड़ी होती है. जिसे ग्रामीण इलाके में डंस के नाम से भी जाना जाता है. इसकी डंक इतनी मजबूत होती है कि पशुओं की चमड़ी में अंदर तक घुसकर खून चूस लेती है. यही वजह है कि बारिश में यह बीमारी सबसे ज्यादा देखने को मिलती है. इस बीमारी के चपेट में ज्यादार गंदगी में रहने वाले पशु आते हैं.

ऐसे पहचानें इस बीमारी को

रोकथाम और इलाज कैसे करें

पशुपालकों के लिए जरूरी सावधानी

बरसात में पशुओं के लिए अलग सूखा और साफ स्थान बनाएं. ध्यान दें कि पशु जिस जगह बैठते हैं, वहां गीली मिट्टी या गोबर न जमा होने दें. अगर किसी पशु को घाव हो गया है तो उसे अलग रखें और तुरंत इलाज शुरू करें. इसके अलावा, घाव को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है. इसलिए जितनी जल्दी लार्वा हटाया जाए, उतना ही पशु के बचने की संभावना बढ़ती है.

Published: 20 Jun, 2025 | 01:43 PM

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