Tamil Nadu News: हरी सब्जियां केवल दिल्ली-एनसीआर में ही महंगी नहीं मिल रही हैं, बल्कि तमिलनाडु में भी इनके रेट बढ़ गए हैं. खासकर मदुरै में सब्जियों की कीमत में कुछ ज्यादा ही बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. महंगाई का आलम यह है कि टमाटर और बीन्स की कीमतें लगातार बारिश के कारण आपूर्ति कम होने से आसमान छू रही हैं. दो दिन पहले 15 किलोग्राम टमाटर की पेटी 200 रुपये में बिकती थी, जो अब 450 से 500 रुपये तक पहुंच गई है. यानी महज 15 दिन के अंदर ही टमाटर की कीमतों में 100 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में रिटेल मार्केट में टमाटर और महंगा हो गया है. वहीं, बीन्स 200 रुपये किलो तक पहुंच गया है. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है.
यहां से होती है सब्जियों की सप्लाई
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, व्यापारियों का कहना है कि लगातार बारिश ने फसल और अन्य राज्यों से परिवहन प्रभावित किया है. मैटुथवानी मार्केट के व्यापारी आर. सेकार के अनुसार, सामान्यत रोजाना दिंदिगुल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से 250 टन टमाटर आते हैं, लेकिन अब यह मात्रा 150 टन या उससे भी कम रह गई है. आपूर्ति में कमी से कीमतें बढ़ रही हैं और अगर बारिश और तेज होती है तो कीमतों में और वृद्धि हो सकती है. इसी तरह, ब्रॉड बीन्स की कीमतों में भी तेज बढ़ोतरी हुई है. ये ज्यादातर मदुरै, थेनी और दिंदिगुल से आती हैं.
- UP ने धान खरीदी ने पकड़ी रफ्तार, 44127 टन के पार पहुंचा आंकड़ा.. किसानों के खातों में पहुंचे 86 करोड़
- फसल विविधीकरण के लिए 1523 करोड़ की मंजूरी, किसानों को नई फसलों के बीज और सुविधाएं मिलेंगी
- बासमती से ज्यादा महंगा है यह धान, केवल जैविक तरीके से होती है खेती.. रासायनिक खाद हैं इसके दुश्मन
- सीमांत किसानों के लिए वरदान है यह तकनीक, एक एकड़ में होगी 15 लाख की इनकम.. क्या है खेती का तरीका
सब्जियों की आवक में भारी गिरावट
आमतौर पर रोजाना लगभग 5 टन बीन्स आती थीं, जो अब केवल 2 टन रह गई हैं. इससे कीमतें 40-150 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर 140-200 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं. वहीं, दिंदिगुल और थेनी के किसान लगातार बारिश से फसल को नुकसान और कटाई में देरी को लेकर चिंतित हैं. मैटुथवानी सेंट्रल मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एन. चिन्नामयान के अनुसार, लगभग 70 फीसदी टमाटर बारिश के कारण एक ही दिन में खराब हो जाते हैं और मार्केट में कोई समर्पित कोल्ड स्टोरेज नहीं है.
रसोई खर्च संभालना हुआ मुश्किल
एन. चिन्नामयान ने कहा कि कृषि विभाग का एकमात्र स्टोरेज मार्केट से लगभग 1 किलोमीटर दूर है. सरकार को मार्केट में कोल्ड स्टोरेज बनवाने पर विचार करना चाहिए ताकि नुकसान कम हो. वहीं, थेनूर के आर. राजेश कन्नन ने कहा कि थोड़ी सी सब्जी भी बहुत महंगी हो गई है और मध्यम वर्ग के परिवार के लिए रोजाना की रसोई खर्च संभालना मुश्किल हो गया है. कई परिवारों ने बीन्स और टमाटर खरीदना छोड़ दिया है. वे दूसरे विकल्प की तलाश में है.