Rajasthan News: राजस्थान में मूंगफली की एमएसपी पर खरीद फिर से शुरू हो गई है. पहले कई जिलों में खरीद इसलिए रुक गई थी क्योंकि बड़ी संख्या में फर्जी रजिस्ट्रेशन पकड़े गए थे, जिसके कारण हजारों किसान अपनी फसल सरकारी रेट पर नहीं बेच पा रहे थे. जांच में सामने आया कि कई किसानों ने नकली गिरदावरी और दूसरे फर्जी दस्तावेज अपलोड करके लाभ लेने की कोशिश की थी, इसलिए सरकार ने रजिस्ट्रेशन अस्थायी रूप से रोक दिए थे. अब श्रीगंगानगर, फालोदी, बीकानेर और चूरू समेत कई जिलों में खरीद फिर से सामान्य रूप से शुरू कर दी गई है.
6,000 रुपये क्विंटल बेचनी पड़ी मूंगफली
इस गड़बड़ी का सीधा असर बीकानेर, श्रीगंगानगर, चूरू, फालोदी और हनुमानगढ़ के खरीद केंद्रों पर पड़ा है, जो एक हफ्ते से ज्यादा समय तक बंद पड़े रहे. सरकारी खरीद रुकी होने की वजह से किसानों को अपनी मूंगफली स्थानीय मंडियों में 5,000 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेचनी पड़ी, जबकि एमएसपी 7,263 रुपये है. इससे किसानों को प्रति क्विंटल करीब 2,200 रुपये तक का नुकसान हुआ. राजफेड के जीएम कार्तिकेय मिश्रा के अनुसार, जिला कलेक्टरों ने हजारों संदिग्ध रजिस्ट्रेशन पकड़कर मामले की जानकारी दी थी.
इन जिलों में फिर से शुरू हुई खरीदी
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने बताया कि कई किसानों ने फर्जी गिरदावरी और दूसरों के दस्तावेज अपलोड करके एमएसपी का फायदा लेने की कोशिश की थी. मिश्रा ने कहा कि अब चूरू, फालोदी, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर सहित ज्यादातर जगहों पर एमएसपी पर खरीद फिर से सुचारू रूप से चल रही है, जहां पहले शिकायतें मिली थीं.
इन जिलों में ज्यादा पकड़े गए संदिग्ध रजिस्ट्रेशन
खास बात यहै कि संदिग्ध रजिस्ट्रेशन चूरू में 9,819, बीकानेर में 5,954, फालोदी में 848, श्रीगंगानगर में 350 और हनुमानगढ़ में 194 पकड़े गए. इन रजिस्ट्रेशन को फिलहाल रोककर रखा गया है और किसानों को नए दस्तावेज जमा कर दोबारा सत्यापन का मौका दिया गया है. इन मामलों को छोड़कर राज्य के अधिकांश केंद्रों पर खरीद सामान्य रूप से जारी है. इस पूरे मामले ने राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर दिया है, जिसमें चूरू के सांसद राहुल कसवां ने सरकार पर अव्यवस्था, मनमाने तरीके से रद्दीकरण और खरीद व्यवस्था को ठप करने का आरोप लगाया है. बता दें कि राजस्थान में मूंगफली की खेती बड़े पैमाने पर होती है. लगभग 8.91 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती की जाती है और करीब 20.27 लाख टन उत्पादन मिलता है, जिसकी औसत पैदावार 2,275 किलो प्रति हेक्टेयर है.