Odisha News: ओडिशा सरकार और मिलर्स के लिए राहत की बात यह है. फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) ने ओडिशा से चावल की खरीद तेजी से बढ़ा दी है. इससे जिला गोदामों में कस्टम मिल्ड राइस (CMR) रखने के लिए अधिक जगह बन गई है. 31 अगस्त तक केंद्रीय पूल में CMR की डिलीवरी 31.63 लाख टन थी, जो अब 12 दिसंबर तक बढ़कर 49.89 लाख टन हो गई है. FCI ने 30 जुलाई से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक गोदामों की जगह और पारबॉयल्ड चावल की कम मांग के कारण खरीद रोक रखी थी. पिछले दो महीनों में राज्य से 18.15 लाख टन चावल उठाया गया.
केंद्रीय सरकार ने खारिफ मार्केटिंग सीजन 2024-25 में ओडिशा के लिए चावल का अनुमान पहले 50 लाख टन रखा था (खारिफ 40 लाख टन और रबी 10 लाख टन), जिसे अक्टूबर में राज्य सरकार के आग्रह पर 58 लाख टन कर दिया गया. अब तक केंद्रीय पूल में राज्य की खपत समेत 49.78 लाख टन चावल पहुंच चुका है. बाकी 8.22 लाख टन चावल FCI दिसंबर के अंत तक उठाएगी.
5 किग्रा अतिरिक्त चावल देने की घोषणा
राज्य ने खारिफ मार्केटिंग सीजन 2024-25 में 62.82 लाख टन चावल खरीदा था. 50 लाख टन FCI को देने के बाद भी 12 लाख टन से अधिक चावल बचा था. इस अतिरिक्त चावल को निकालने के लिए राज्य सरकार ने गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 11 जिलों के 27 लाख परिवारों को 5 किग्रा अतिरिक्त चावल देने की घोषणा की, जिसमें आठ KBK जिले और तीन गैर–KBK जिले (बौध, गजपति और कंधमाल) शामिल थे.
3.36 लाख टन चावल स्टॉक में
अक्टूबर में सरकार ने इसे बाकी 19 जिलों के NFSA और SFSS कवर किए गए परिवारों के लिए सितंबर से नवंबर तक तीन महीने बढ़ा दिया. इससे लगभग 11 लाख टन अतिरिक्त चावल खर्च हो गया. मिलिंग की बात करें तो कस्टम मिलर्स ने अब तक 49.78 लाख टन चावल दिया है. यानी 27.89 लाख टन राज्य को PDS के लिए और 21.89 लाख टन FCI को. वर्तमान में राज्य के विभिन्न जिलों में 3.36 लाख टन चावल स्टॉक में है. पिछले खारिफ सत्र में खरीदे गए धान के लिए मिलर्स को 13.48 लाख टन चावल राज्य को और देना है.
अगस्त महीने में आई थी ये खबर
वहीं, बीते अगस्त महीने में खबर सामने आई थी कि राज्य सरकार 23 लाख टन कस्टम-मिल्ड राइस (CMR) के अधिशेष स्टॉक के साथ मुश्किल में फंस गई है, क्योंकि फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) मिलर्स से अपना कोटा नहीं उठा रहा है. भंडारण की जगह की कमी और बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख उपभोक्ता राज्यों में ओडिशा के पारबॉयल्ड चावल की कम मांग के कारण FCI ने 30 जुलाई से CMR उठाना बंद कर दिया था.